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Showing posts from April, 2020

सीखने का समझने का मौका मिला ...

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बहुत बातें हम सीखते हैं  जानते हैं और समझते हैं  के सब पता है कम से कम  जानकारी तो है मगर नहीं  कनाडा के इस सफर में  बहुत कुछ सीखने का  समझने का मौका मिला  जैसे के समलैंगिकता  ये दुनिया में हर जगह है  मगर मैंने पहले कभी  अपने देश में इस लफ्ज़  का इजहार भी नहीं देखा  एक बात समझ आयी  हम सब इंसान हैं फिर भी  अलग-अलग हैं सोचते  अपनी-अपनी हस्ती के हम  सभी को साथ है रहना  अच्छा लगा के यहाँ खुल के  बात तो किया जाता है  अच्छी हो या बुरी बात  अगर छुपाके दबाके रखोगे  तो कुछ भी तो नहीं बदलेगा  और हर जगह और इंसान  में विकास आता है सिर्फ  सवालों से आवाज़ों से  जो के बहुत ज़रूरी है  वर्ना ये एक बेबसी है  कूएं में रहे मेंढक समान  ~ फ़िज़ा 

नयी दुनिया के नए नज़ारे

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बैंक में खाता खुल गया और  चैक किराये का पादरी को दे दिया  चैक लेते वक़्त पादरी ने कहा ये है  येशु की महिमा अपरम्पार प्रेस डा लार्ड ! उसके बाद उन्होंने प्रार्थना करने बुलाया  सारा परिवार था वहां प्रार्थना करने  बाद में अकेले में बुलाकर पादरी ने कहा  मैं भारत के लिए रवाना हो रहा हूँ परसों  तुम्हें वादा करना होगा के इस बीच तुम  दूसरे पादरी के फ़ोन पर वहाँ नहीं जाओगी  मैं हैरान-परेशान के ये विषय अब भी विषय है? खैर मैंने पुछा क्या हुआ पादरी जी ऐसा क्यों? कहने लगे मेरी बीवी बीमार रहती है और वो  ये सदमा बरदाश्त नहीं कर सकती तुम्हें जाना है  तो अभी निकल जाओ न के मेरे जाने के बाद ! मेरा अपना कोई ऐसा इरादा नहीं था और  मैंने तो पहले ही ज़बान भी दी थी के मैं हूँ  फिर ये सवाल क्यों?  पादरी ने कहा जाने से पहले तुमसे ये वादा चाहिए  मैंने भी निवांत होकर लौटने की शुभकामना दी   उसके बाद पादरी काफी ख़ुशी-ख़ुशी भारत गए   यहाँ हम रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी जीने लगे   तब दूसर...

"मैं हूँ भी और नहीं भी "!

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दुबले-पतले सांवले से रूप में  बड़ी-बड़ी आँखों से कहने-सुनने वाले  तन के जैसे भी थे तुम मन के धनी रहे  गहराई में जा बैठे हैं सभी के दिल में  किरदार के अंदर घुसकर रेहा जानेवाले  बहुत कम होते हैं मगर तुम नहीं न रहे  अदाओं से अभिनय से आवाज़ से कातिल  खो दिया संसार ने तुम्हें अब भी नहीं यकीन  अफ़सोस न देख पाएंगे नए किरदार तुम्हारे  नए चोंचले नए सहारे नए करतूतों से हँसते हँसाते  एक दिव्यचरित्र भांति सदियाँ याद रखेंगी  शुन्य स्थान रहगया अभिनय जगत में इरफ़ान  ठीक ही कहा गए आखिर तुम "मैं हूँ भी और नहीं भी "! ~ फ़िज़ा 

पैसों का खेल

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इस तरह कैसे एक महीना बीत गया, येशु की कृपा मेरा काम और घर के काम  सभी में व्यस्त रहते हुए भी ज़िन्दगी उदास मुझ से जो प्यार से बातें किया करते थे  पादरी अब धीर-गंभीर हो गए एक बदलाव  पादरी की बीवी बहुत ज्यादा प्यार जताती  उनकी बेटी को पढ़ाई में मदत करने के लिए  मुझ से कहा ट्यूशन दिया करो गणित में  आये दिन माँ -बेटी की घमासान लड़ाई  कभी मैं बेटी को समझती के माँ को उल्टा जवाब न दो  तो कभी पादरी की बीवी से के यहाँ बच्चों पर हाथ न उठाओ  बच्चे पुलिस बुलवालेते हैं अपने माता-पिता पर  और बुलाते कैसे नहीं जब माँ गरम चिमटे से मारती कुछ हाथ नहीं आया तो बेटी के लम्बे बाल ही खेंचती  जैसे-तैसे झगड़े रुकवाए मेरी ट्युशंगीरी भी उतनी बढ़ी  ट्यूशन के पैसे या फिर अनुवाद के पैसे में प्रभु येशु आ जाते  महीना ख़त्म होने से पहले किराया मगर पूछ लिया  खैर इन सब के बीच मेरी पहली तन्ख्वाव मिली  महीने के २७५  डॉलर आते ही २५० किराया गया  जो बचा उस से बस के टिकिट खरीदे बस  इसी बीच कंपनी...

येशु के मार्ग-दर्शन में ...

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टॉम अपनी गाडी लेकर मुझे लेने आया  टॉम के बारे में कुछ कहूं तो क्या कहूं?  कभी  बातें करने का मौका ही नहीं मिला  जब भी मैं रसोई में होती वो आता पूछने  आप विवाहित हो ? लगता नहीं, झूट बोलते हैं  ! मुझे कभी इस सवाल का जवाब देना नहीं पड़ा  क्यूंकि बीच में पादरी की बीवी आ जाती थीं  ग़ुस्से से बेटे को अपने कमरे में जाने कहतीं  और मुझ से कहतीं यहाँ के बच्चे सभी बिगड़े हैं  मैं हंसती और बस काम में व्यस्त हो जाती  आज पहली बार इस तरह अकेले टॉम को भेजा  ताज्जुब भी लगा और हैरानियत भी हुई उसे देख  गाडी में बैठने के बाद मैंने शुक्रिया इजहार किया  और टॉम ने बड़े सलीके से कहा यहाँ इतनी रात  सुरक्षित नहीं हैं इसीलिए संभालना ज़रूर आगे से  चुप-चाप सारे रस्ते हम घर पहुंचे रात के १२ बजे थे  पादरी की बीवी नाराज़ थीं उन्हें पसंद नहीं आया, रात को देर से आना ठीक नहीं मगर मेरी नौकरी भी तो  पादरी और उनकी बीवी की सोच ज़रा अलग थी  पादरी कहते ऐसी नौकरी नहीं चाहिए येशु देख लेगा सब...

उस रात जब मैं रास्ता भूल गयी थी

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हर सुबह गीतों का अनुवाद किया करती, येशु महान है  उसकी सेवा में ही महिमा है  ऐसा वक़्त भी होता था जब पादरी की बीवी  सब्ज़ियां कटवाती, नरियत खिस्वाति और  उन्हें जिपलॉक में डालकर फ्रिज में रखती  एकाध बार ठीक है मगर ये रोज़ का काम हुआ  मैं किराया तो देती हूँ फिर ये सब क्यों करवाते थे? एक दिन यमुना से मिलने उसके काम पर KFC पर गयी  व्यस्त थी ग्राहकों के साथ मगर बातें करती बीच में  उससे बातें करते हुए पता चल ये सब योजना थी  यमुना का किराया बढ़ाया गया ताके वो वहां से निकल जाये  हमारी बढ़ती दोस्ती पादरी और बीवी को नापसंद जो थी  बहुत ही मतलबी सा लगा ये सब किसी को बेवजह तंग करना  मैंने अपनी तरफ की कहानी भी सुनायी और यमुना ने कहा  तुम्हें उनके घर का काम नहीं करना चाहिए तुम किरायेदार हो, खैर यही समझ आया के मुझे किसी को भी ना कहना नहीं आया ! मैं अन्य जगहों पर नौकरी की अर्ज़ी भेजा करती पोस्ट द्वारा  एक-दो इंटरव्यू के लिए भी गयी थी मगर  यही  जाना के हर जगह मैं अधिअहर्ता थी  सप्...

यमुना के बगैर जीवन ...

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वो एक उदास शाम थी जब पता चला उस रात के  यमुना घर बदलकर चली गई वो मेरे खुशियों का आश्वासन थी  दोस्त थी वो मेरी हमेशा मदत की उसने, एक बात ठानी थी हो न हो, ज़िन्दगी में अच्छे दोस्त हों तो सब ठीक होता है अगले दिन काम पर गयी  और यमुना से बात की चाहती तो थी के वापिस आने को कहूं  मगर इतना हक़ भी नहीं था,  बात हुई और एक बड़ी बहिन की तरह सलाह दी फंसना नहीं कभी, पादरी लाख कोशिशें करेंगे धर्म के उपदेश से परधर्म अवलम्बी करने  मगर तुम काम पर ध्यान देना खर्चे-पानी के बिल जो देना है  मेरे उन्मुखीकरण के बाद तो जैसे हफ्ते भर बेकार सी थी  छुट्टीवाले दिन व्यस्त रहती प्रशिक्षण जो मिल रहा था  एक कैनेडियन चीनी स्त्री थी जो केशियर प्रमुख थी  काम करने के दिन अपनी शिफ्ट ख़त्म होने तक प्रशिक्षण देती  बाद में पता चला वो भारतीय थी कलकत्ता की निवासी थी  काम करने वाले हफ्ते जन परिवहन प्रातःकाल से शुरू रहती  सप्ताहांत जन परिवहन की कहानी कुछ अलग थी, ज़िंदगी निराशाजनक रही यमुना बगैर  येशु ने तो  ख़ुशी और आज...

ज़िन्दगी मेट्रो में

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ज़िन्दगी टोरंटो में मेरे लिए साहसी रही  जब शहर में नए और अनिश्चित हो तब डरपोक भी  मैं  और भी बुरा सोचती इस वजह से सतर्क ज्यादा थी उस रात जब मैं किंग स्ट्रीट से रवाना  हुई थी, मार्ग नया था और समय भी मेरे लिए नया ही था  सच कहूं तो, मैं डरी हुई थी इसीलिए सतर्क भी थी जब सतर्क हों तब सभी को शक्की नज़र से देखते हैं  मैं स्ट्रीटकार में घुसी, वो खाली थी  बिलकुल, कभी आपको खालीपन से घबराहट हुई है ? यहाँ स्ट्रीटकार का ड्राइवर था, एक बेघर इंसान  और मैं ! उसने पेशाब कर रखी थी पतलून में और घुर रहा था मुझे  अंदाज़ा लगा सकते हो के मेरा क्या हाल हो रहा था तब ? ऐसा अनुभव हर रोज़ का था मेरे लिए,  नयी जगह, नया दिन, नया अनुभव, एक ऐसा अनुभव जो अपने देश में नहीं महसूस किया, इस बात से बड़ी हुई थी के हर चीज़ को संदेहयुक्त देखो  ज़िन्दगी तो हमेशा अनुचित होती है, मैंने हमेशा उससे ज्यादा बुरा सोचा  इस वजह से भी मैंने हमेशा बुरे वक़्त में भी उपाय ढूंढ़ना सीखा, यही बात मेरे हमेशा किस्मत से काम भी आयी,  हर रा...

शाम भयानक सी रूप में बदल गई..

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मेरा पहला उन्मुखीकरण एक नए देश में  मैं उत्सुक और उत्साहित दोनों ही थी  हर एक निगम का का चेहरा होता है  उन्मुखीकरण एक अच्छा जरिया है नयी शुरुवात करने का अवसर है  ये तुम्हारी उम्मीदों को बढ़ावा देता है  किस तरह तुम तरक्की करोगे उनके संग  मुझे यकीं है हम सभी ऐसा ख्वाब देखते हैं  और मैंने भी देखा ! उस शाम महाराष्ट्रियन महिला संग बिता, शहर के बीचोबीच किंग स्ट्रीट में रहती थी  पते के अनुसार मैं पहुँच गयी थी सही जगह  दस्तख दी दरवाजे पर और महिला को देखा, उसकी नौ साल की बेटी भी संग थी  एक बहुत ही अच्छी श्याम गुज़री थी  मैं शुक्रगुज़ार थी खूसबसुरत शाम के लिए  रात बहुत देर तक महिला ने अपने घर रखा  मुझे घर पहुँचने में बहुत देर होगयी इस वजह   रात बिलकुल गहरा अँधेरा सा था  मुझे डरना तो नहीं चाहिए फिर भी मैं डर रही थी  घर की चाबी से दरवाजा खोला और अंदर देखा  पादरी की बीवी जागी थी और पूछने लगी  कहाँ गयी थी? इतनी रात सफर करने डर नहीं लगता? मुझे तुम्हें चौक्कन्ना कर...

अगला निमंत्रण...!

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अगले दिन उन्मुखीकरण है मोवेनपिक में  विचार-विमर्श के लिए पादरी ने बुलाया कहा गया मेरा कमरा ऊपर होगा अब से, घर के तहखाने से ऊपरी मंज़िल की ओर, ये तो हुई तरक्की और खुश हुई इस बात पे  क्या कहें यमुना भी स्थान परिवर्तन कर रही थी, एक दिन में इतने परिवर्तन संभालना मुश्किल था   न्यूनतम तन्ख्वाव में है तो भी नयी नौकरी लगी है  परन्तु यमुना को अब रोज देख भी न पाऊँगी मैं  यकीन नहीं होता मगर दिल अंदर से खुश न था  अजीब सा महसूस हो रहा था जैसे पेट में हो दर्द  और तुम्हें पता नहीं होता के उलटी होगी अब के..  समझ ही गए होंगे मैं क्या कहा रही हूँ भयानक सा  उसी रात मेरा कमरा ऊपरी मजले में बदला गया  छोटा सा कमरा, एक बिस्तर, एक मेज़ और कुर्सी  एक कोठरी की दीवार जिस पर येशु मुझे घूरते हुए  मुझे ये सब एक जानबूझकर किया षड़यंत्र सा लगा  यमुना को न अब देख पाऊँगी न ही बात कर पाऊँगी  येशु के घूरने से तंग आकर मैं उसी से प्यार कर बैठूं? शुरुवात के लिए ये एक अच्छी मानसिक यातना रही  अगले दिन तैयार होकर नौकरी के लिए ...

एक फ़ोन आया मोवेनपिक से ...

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अगले दिन सब कुछ वैसा ही था  सामान्य जैसे, नाश्ता और सफाई  बैठक कक्ष में प्रार्थना की तैयारी  सलाह मिला ईश्वर की राह में चलो  और ज्यादा यमुना के संग न फिरो  अजीब सा लग रहा था जैसे पिंजरे में  तभी एक फ़ोन आया मोवेनपिक से  पादरी के घर का नंबर दिया था उन्हें  वे मिलना चाहते थे उसी दोपहर को  हड़बड़ाहट थी के जल्दी पहुँचाना है  तभी पादरी को लगा ये सब ठीक नहीं  जल्दी तैयार हुई और फिंच की बस पकड़ी  फिंच से डंडास और वहां से Eaton सेण्टर  उम्मीद नहीं थी पर वक़्त पर पहुँच गयी  मैनेजर ने स्वागत किया और हाथ मिलाया  फिर रेस्टोरेंट के पीछे अपने संग ले चली  सीढ़ियों पर बैठाया और खुद भी बैठीं वो  जैसा की होता है साक्षात्कार भी हुआ और  हमने भी पेशेवर की तरह जवाब दिए सब , केशियर की नौकरी मिल ही गयी आखिर  प्रति घंटे के न्यूनतम मजदूरी पर तनख्वा  काम करने के दिन मुझे कोई काम नहीं  सप्ताहांत के दो दिन सिर्फ काम होगा  दुःख हुआ के इतनी मेहनत का फल ये...

क्या मैं लगती हूँ उसकी?

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आज बहुत जल्दी सेहर होगयी, योजना अनुसार जाना जो था, बचे हुए बायोडाटा लेकर निकली  यमुना भी पूरी तैयार थी निकलने, सुनिश्चित किया के आवाज़ न हो, किसी के जागने के पहले धीरे से , घर से रवाना हुए दोनों  सवेरे-सवेरे, मेरा पेहला दिन इस नए शहर में टहलने, यमुना के संग ही सही टहलने तो निकले  कुछ क्षणों के लिए आज़ाद पंछी सा लगा, घर से टीटीसी बस स्थल का रास्ता दिखाया, दो डॉलर का टोकन देकर बस में घुमाया हमें, एक टोकन से आप जहाँ चाहो चले जाओ, जब-तक टीटीसी की सीमा में रहो तब तक  जब लौटो तो अगला टोकन दिखाकर चलो  बहुत ही सरल और सस्ता सा लगा सफर, बस के सफर का आनंद उठाकर अच्छा लगा, हम बस से फिंच स्टेशन पर आ उतरे और  भूमिगत रेल में सफर कर डंडास स्ट्रीट पहुंचे  सफर बेहद सुखद और खुशगवार सा था  बहुत हँसे  पादरी के मज़ाकिया बातों पर  डंडास स्ट्रीट से चलते पहुंचे Eaton सेण्टर  शॉपिंग मॉल कई मंज़िलों से बनी वास्तुकला  इतनी खूबसूरत ईमारत पहले कभी न देखा, जैसे-तैसे घूमते लगे देखने नज़ारे हर तरफ  यम...

बायोडाटा तैयार रखना ..!

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एक संपूर्ण दिन था रविवार का, सुबह से श्याम तक के नाटक, फिर रात का खाना और बर्तन , थकान बहुत थी सो चल दिए सोने, देर रात यमुना का आगमन हुआ , फुसफुसाते पुछा जगी हो क्या ? यमुना को देख बहुत उत्साहित हुए  देखा जो न था उसे बहुत दिनों तक , ख़ुशी से उठे  जब उसने कहा शांत  तहखाने में रहते हैं हम इस वजह से  ऊपर हमारी सब आवाज़ पहुंचती है  यमुना का वीकेंड सोमवार होता है  कहा चलो निकल चलते हैं इस घर से  ताकि कुछ पल जी लेते हैं दोस्ती के  गर तुम रही यहाँ पादरी की संगत में, पगला तो जाओगी मगर नौकरी से भी, मुझे भी बात सही लगी और होगयी राज़ी  सोते हुए कह गयी बायोडाटा तैयार रखना  सभी के उठने से पहले निकलना है हमें  घुमाएंगे तुम्हें टोरंटो कल चलना संग  ले जायेंगे तुम्हें Eaton सेण्टर कल, करेंगे मस्ती घूमेंगे संग हज़ार वहीँ  ~ फ़िज़ा 

यही ईश्वर की चाह है यही है उसका मार्ग !

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गिरिजाघर में बहुतों से मिली, पादरी ने नाम जो लिया था, हर कोई उत्सुक था मेरी कहानी सुनने  जिस किसी ने बात की हाथ मिलकर , उन सभी को बायोडाटा थमा दी हाथ में  कहा कृपया अपने दफ्तर में देखिएगा  मेरे लायक कोई भी नौकरी जो मिल सके, ऐसे ही समय एक नए पादरी से मुलाकात हुई  उनकी बीवी जो थी नर्स और छोटी बच्ची से मिली  उनकी उदारता और हमदर्दी देख समझ गयी जल्दी  वो चाहते थे मैं उनके घर रहूं इस पादरी को छोड़ दूँ  कहने लगे बिना नौकरी कोई कैसे किराया ले, रहना मुफ्त हमारे घर बिना किसी झिझक के , 'मुफ्त' की बात से याद आया कभी पढ़ा था  कुछ भी मुफ्त नहीं होता कीमत सबकी होती है  उनकी सहानुभूति के लिए धन्यवाद् कहा और  नौकरी हो सके तो कृपया इतनी मदत अच्छी होगी, आंटी कुछ समझ गयी आवेश से हमें देख लिया, ये समझते देर नहीं लगी की हमारी श्यामत आयी  गाडी में सब चुप-चाप थे और हम भी कुछ न बोले  अचानक आंटी ने पुछा क्या कहा रहा था वो पादरी? ईश्वर की कृपा हम पे होती है उसे रास नहीं आता  बिना किसी कांट -छांट के हम...

जन्मदिन की शुभकामनाएं रिया !

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जीवन में साथी की कमी नहीं हुई  न ही कभी किसी बेहना की कमी  संग मेरी बिटिया जो थी हर पल  दोस्त की तरह, दो राहों की तरह  संग चले उबड़-खाबड़ डगरों से मगर हमेशा हँसते-खेलते रहे  जीवन इसी का नाम है और यूँही  कब वक़्त गुज़रा भनक भी न हुई हर साल, शुरू के सालों से गुज़रता है  यही साल हरबार फिर नया लगता है जाने कैसे बीत गया ये वक्त भी ऐसे  जो ठहरा सा लगा ही नहीं कभी वैसे   खुशियों को कहाँ छुपाये रखते हैं सब  बेटियों के रूप में खिलतीं हैं जहाँ में  जन्मदिन तो हर साल मनाया जायेगा  हम तो उस जन्मदिन को याद रखते हैं  जो पैदा होते ही हमें माँ की एहमियत  सीखा गयी ! जन्मदिन की शुभकामनाएं रिया ! ~ फ़िज़ा 

नए पादरी से मुलाकात हुई !

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बायोडाटा बनगया था बस छपवाना रेहा गया था,  समझ आया वहां और यहाँ के बायोडाटा में फर्क है, भारत में जन्मपत्री तक लिखवा देते हैं जहाँ, यहाँ गोपनीय बातें नहीं छपवाते थोड़े सभ्य हैं जहाँ , बिना पादरी के जाने दस कापियां छपवाए ही लिए , पादरी को स्याही की फ़िक्र तो कभी मेरे बारे में,  वक्त कुछ अनुवाद में तो बाइबिल में गुज़रा, उस रात नींद जल्दी आयी थी जेटलैग जो था, यमुना एक नाम सा था जो दिन-रात काम ही करती सोचा कभी कोई इतना समर्पित कैसे हो सकता है , क्या ज़िन्दगी जीने की चाह नहीं जीवनसाथी नहीं, अगली सुबह सलीके से चर्च के लिए रवाना हुई  आज्ञाकारी की तरह आंटी के संग गयी उन संग बैठी, अपनी जैकेट टांग कर बेंच पर बैठे बाइबिल हाथ लेकर, मैं जैसे कोई नमूना थी हर किसी की आँखें घुर रही थीं, उनके बेटी और बेटा संग तो थे मगर इस सब से जुदा -जुदा, प्रभु की स्तुति कहकर पादरी ने स्वागत किया हर किसी का, मैंने भी हर किसी मिलती नज़र से झुक कर कहा नमस्ते, ताज़्ज़ुब और हैरत है के बेचने का कौशल हर जगह कामियाब है  पादरी ने मंच पर उपदेश देते हुए मेरा नाम पुकारकर...

येशु के काम में भाग्य मिलेगा और बरकत...!

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शनिवार का दिन और यमुना काम में व्यस्त  सोचा था वीकेंड वक्त बिताएंगे, संग बतियांएगे , मगर कुछ काम छुट्टियों के मोहताज नहीं, जब काम के घंटे के हिसाब से हो तनख्वा, खैर कोई चारा भी तो नहीं था मेरे पास, सिवाय बाइबिल, पादरी परिवार के क्या था, नाश्ता हो चूका था और बर्तन भी धो दिए थे, सिखाया भी तो यही जाता है घर में मदत करो, पादरी और बीवी बात-चीत पर उतर आये, येशु के काम  में भाग्य मिलेगा और बरकत, पूछने लगे क्या कविताओं का अनुवाद करोगी ? एक से ज्यादा भाषा मेरे बायोडाटा में देखा था  मुझे ये एक काम से कम नहीं लगा था  इसीलिए भी पूछ लिया रोजगार मिलेगा? खुदा के काम के कभी पैसे नहीं मांगते, उनकी ख़ुशी को सही जानकर राज़ी हुई  चंद पंक्तियों को हिंदी में लिखना शुरू किया  तभी नज़र सामने पड़े कंप्यूटर पर पड़ी  पूछ लिया क्या मैं इस्तेमाल कर सकती हूँ  क्यूंकि उनकी बात से मैं राज़ी तो वो भी राज़ी  जल्द ही अपना बायोडाटा बना लिया वहां, तब तक दोपहर हो चुकी थी खाने का वक़्त था  पादरी की बीवी को आंटी केहकर बुलाती थी...

बाइबिल का पाठ

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येशु महान है, हलिलुय, हलिलुय ! इस तरह बाइबिल का पाठ शुरू हुआ  वैसे मेरे पास कोई चारा भी तो न था  पादरी के दयालुता और मेहरबानियां  उस पर मेरा उनके प्रति आदर-सम्मान  बस हाथ जोड़कर शुरू की प्रार्थना और  जब बोले आत्मसमर्पण और आत्मत्याग याद आया जॉन:४:३४ बाइबिल से जब  पढ़ा करती थी अपने पडोसी के लिए  पुरानी और नयी धर्म-पुस्तक बाइबिल  लगा क्या ये संशोधन है मेरा फिर से ? अपने अधिकारों को किसी पे सौंपना,  सौंप भी दिया तो नौकरी देगा वो खुदा? बेकरारी रोज़ी के लिए बिल जो भरना था, मगर पादरी लगे समझाने और मैं ऊँघने  दूर से पत्नी ने कहा आज के लिए छोड़ दो  कल फिर कोशिश करना कामियाब होंगे  सच में लगा खुदा बोल उठे मुझे बचाने  किन्तु क्या कहा ? कल कामियाब होंगे? इन्हीं सब ख्यालों में ऊंघते हुए मैं चली  प्रार्थना-जन बिखरे आखरी प्रार्थना के बाद  येशु महान है, हलिलुय, हलिलुय ! ~ फ़िज़ा 

यमुना से दुरी बनाये रखो ..!

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यमुना जल्दी में तो थी ही  जाते हुए खाने को पूछ गयी  घर का पका गोश्त और ब्रेड  पहला भोजन खाया सा लगा खाकर नींद की तैयारी में थी  रात को फिर मिलेंगे केहा गई  सर्दी ज़ोरों से थी मगर खुश थी  भोजन पेट में निंदिया आँखों में  कब आँख लगी पता भी न चला  खुली आँख तो मेरा नाम सुना यमुना काम से आगयी थी फिर   कमरे का दरवाजा खोला मैंने  नींद हो गयी ये तस्सली हुई तो  आपस में परिचय हुआ हमारा   एक-दूसरे को गले भी लगाया  सच्चाई थी उसकी मुस्कान में  केन्टुकी फ्राइज में केशियर थी  देर रात की शिफ्ट वाली नौकरी   सब परख ही रही थी अब भी मैं  उसकी कहानी नसीहत भी सुनी  सेहर हुई जब शुभरात्रि कहा हमने  असल सवेरा हुआ जब पादरी आये  नाश्ते का वक्त था सो ऊपर ले गए  नाश्ते के साथ कुछ नियम भी सुनाये   खाना मुफ्त में खाओ यहाँ आकर  मगर रहने का किराया दो ज़रूर और   यमुना से दुरी बनाये रखो तो अच्छा  ये सुनकर ताज्जुब और हैरानियत हुई  समझा...

वैसे यहाँ कोई दूसरा चारा न था ...!

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बीस घंटे पहली बार सफर करे  और परेशानियों से लदा दिमाग, तो नींद के सिवाय क्या सूझे ? डेज-इन् कमरे में नींद ने आ घेरा  परेशानियों को कल पे टाल दिया  कब आँख लगी पता भी नहीं चला  और नींद ने जप्त किया आगोश में यूँ  सेहर तैयार हुई कॉफ़ी की चुस्की संग  वकालत के किताब की भांति अख़बार  बैठ गए ढूंढ़ने नौकरी और किराया घर जैसे-तैसे फ़ोन पर हुई पादरी से बात  जांच पड़ताल और हुई कई बातचीत   अवसरवादी ही नज़र आये दोनों ओर  वैसे यहाँ कोई दूसरा चारा न था  पास में जेबखर्चा भी तो नहीं था  चल दिए सफर पर जो ठीक लगा  सफर लम्बा येशु की कहानियों से  जैसे पहुंचे घर होमवुड, नॉर्थ योर्क  प्रार्थना से लगे धर्म का उपदेश देने  जहाँ येशु भी न रोक सका जेट-लाग्  गए बेसमेंट में सोने जहाँ बिस्तर था  छोटी खिड़की जो सड़क दिखाती हुई कमरे के बाहर रसोई और बैठक-कक्ष  जहाँ हम नहीं यमुना का निवास था ऐसे मुलाकात हुई हमारी यमुना संग  ! फ़िज़ा  

वो रात कुछ अजीब थी ..!

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वो रात कुछ अजीब थी  जाने अनजाने डरी हुई आप्रवासन अध्यक्ष बुलाकर  जांच-पड़ताल के बाद कहती  इंतज़ार करो मेरे बुलाने का  शायद जाना पड़ेगा वापस ! इस सोच में थी मैं के आये हैं  विमानस्थल तो देख जायेंगे  ज्यादा सोचने का वक्त न देते हुए  महिला अध्यक्ष ने ठप्पा लगाया  वीसा पर -आपका स्वागत है कनाडा में ! समय बड़ा अजीब था हड़बड़ाये हम   कुछ सोचने या समझने का अवसर  था ही नहीं तब बस चल दिए अंदर  सामान बटोरकर बैठ गए एक तरफ  सेहर का इंतज़ार था अजनबी से मिल गए ! कहा छोड़ देता हूँ रास्ते जो तुम कहो  गाडी आती है भैया की सोच लो   अनजानी रात, शहर और ये आलम  सोचने लगे क्या कहकर टालें ये ऑफर  हमने भी तुनक्कर कहा यहीं ठहरेंगे  सेहर आते ही अमेरिका चले जायेंगे ! बन्दे ने होटलों के नाम गिनाये फिर   कहा यहाँ ठहर सकते हो रात-भर  खाली विमानस्थल और सन्नाटे से भीत  कहा सुझाओ कोई अच्छी जगह रहने की  डेज इन् पर कमरा बुक करवाया और  विजिटिंग कार्ड देकर अल...