मुझे पढ़ने वाले कभी सामने तो आओ...!
मुझे पढ़ने वाले कभी सामने तो आओ आइना हूँ दिल का पढ़लो कभी ये चेहरा कब तक रहोगे पढ़ते मेरा छिपकर कलाम दे दिया करो दाद एक टिपण्णी का सहारा जान तो लूँ मैं भी है दिल में वो आग अब भी ज़िन्दगी जहाँ भी ले जाए इस दिल में है सदा मोहब्बत की नहीं नुमाइश ख़ुशी के हैं एहसास मुझे पढ़ने वाले कभी सामने तो आओ कभी सामने तो आओ ! ~ फ़िज़ा