आज भी, उम्मीद का दिया ही जला आये!
प्रकृति में बारिश कभी मीठी-मीठी खुशबू या फिर मौसम को रोमांचक बनाती है, तो कभी भारी बरसात से सब कुछ अस्त-व्यस्त हो जाता है। जीवन का संयम भी कभी-कभी ऐसा रूख ले लेता है, कुछ तूफानी बातें तो कुछ मुकाबले की बातें.... आखिरकार जीत लडने वाले और हौसला रखने वाले की ही होती है....
बारिश की बूँदें सर-सर करे बाहर
मेरे दिल में जैसे एक तूफान आये!
बूदों की ज़िद, बिजली की कडकडाहट
तूफानी लेहरों में दिल गोते खाये!
पानी के भवँडर में, मैं धँस गई हुँ
डूबे हैं न निकले, कुछ समझ न आये!
बूँदें बरसकर बेह जातीं हैं
मैं किस ओर बहूँ कोई तो बताये!
तुझ से मिलने की बडी ख़व्वाईश है मुझे
क्या-क्या न पूछूँ और क्या-क्या न तु बताये!
तेरी इस खोखली दुनिया में बस
आज भी, उम्मीद का दिया ही जला आये!
~ फिज़ा
बारिश की बूँदें सर-सर करे बाहर
मेरे दिल में जैसे एक तूफान आये!
बूदों की ज़िद, बिजली की कडकडाहट
तूफानी लेहरों में दिल गोते खाये!
पानी के भवँडर में, मैं धँस गई हुँ
डूबे हैं न निकले, कुछ समझ न आये!
बूँदें बरसकर बेह जातीं हैं
मैं किस ओर बहूँ कोई तो बताये!
तुझ से मिलने की बडी ख़व्वाईश है मुझे
क्या-क्या न पूछूँ और क्या-क्या न तु बताये!
तेरी इस खोखली दुनिया में बस
आज भी, उम्मीद का दिया ही जला आये!
~ फिज़ा
Comments
तुझ से मिलने की बडी ख़व्वाईश है मुझे
क्या-क्या न पूछूँ और क्या-क्या न तु बताये!
is ki jagah par yeh kaisa lagega
tujh se milne ki khwahish hai meri
kya kya na poocha tujh se aur tu kuch na bataye
ab ye matkahiye ke main kavi banr raha hun. kavita mere bas ki baat nahi. mera sahitya gyan shoonya hai.
aur mere blog par teeka tippni ke liye hardik dhanyawad. main is vishay par kafi logo se vaad vivaad kar chuka hun. kyon hum apne nayakon ko bhool jaate hain??
reh reh ke,
ruk ruk ke,
na jane kyon,
main fir chalta hun,
main fir nikalta hun,
kya manzil ki talaash?
ya kuch paane ki aas hai?
ya koi anujhi pyas hai?
ya fir kuch aur khaas hai?
na jane kyon
main chalta hun,
thakta hun,
rukta hun,
sans leta hun,
aur fir kadam badhaata hun,
na jane kyon
aapki kavita ke liye bahut bahut shukriya...dekhiye aap ban gaye na kavi :D...hamari janib se dheron daad kabool farmayein :)
cheers
@manish: shayad aap apnee baat adhuri rakh chorgaye ya phir....koi system prob hai...aapke jawab ka intezaar rahega
cheers
Bhavo ko bekhubhi dikhaya gaya hai...
aap ne kaha tha ki hindi mein likh ke do to samajh aaye isiliye.
dhanyawaad
@manish: shukriya Manish...meine sudhar kar liya hai...:)
cheers
एक शेर मेरा भी:
"जब भी अंधेरों के छाये हैं साये,
हमने तेरी यादों के दिये जलाये"
बहुत बेहतरीन रचना है.बधाई.
समीर लाल
daad hee daad kabool farmayein
adaab