आज भी, उम्मीद का दिया ही जला आये!
प्रकृति में बारिश कभी मीठी-मीठी खुशबू या फिर मौसम को रोमांचक बनाती है, तो कभी भारी बरसात से सब कुछ अस्त-व्यस्त हो जाता है। जीवन का संयम भी कभी-कभी ऐसा रूख ले लेता है, कुछ तूफानी बातें तो कुछ मुकाबले की बातें.... आखिरकार जीत लडने वाले और हौसला रखने वाले की ही होती है.... बारिश की बूँदें सर-सर करे बाहर मेरे दिल में जैसे एक तूफान आये! बूदों की ज़िद, बिजली की कडकडाहट तूफानी लेहरों में दिल गोते खाये! पानी के भवँडर में, मैं धँस गई हुँ डूबे हैं न निकले, कुछ समझ न आये! बूँदें बरसकर बेह जातीं हैं मैं किस ओर बहूँ कोई तो बताये! तुझ से मिलने की बडी ख़व्वाईश है मुझे क्या-क्या न पूछूँ और क्या-क्या न तु बताये! तेरी इस खोखली दुनिया में बस आज भी, उम्मीद का दिया ही जला आये! ~ फिज़ा