गुज़रते वक़्त से सीखा है
गुज़रे हुए पल, और लोग
वो फिर नहीं आते !
मतलबी या खुदगर्ज़ी हो
एक बार समझ आ जाए
उनका साथ फिर नहीं देते !
पास न हों पर अच्छे हों
बात रोज़ न हों पर सच्चे हों
ऐसों को हमेशा साथ रखें !
हर कोई जूझ रहा ज़िन्दगी में
टेढ़े मुह बात भी करे तुमसे
सहानुभूति रखें सभी से !
ज़िन्दगी सिर्फ चार पल की
अहंकार में खोना न सच्चे रिश्ते
अच्छी यादें दे जाओ ख़ुशी से !
~ फ़िज़ा
4 comments:
सुंदर रचना
सुन्दर
सुंदर बोध देते शब्द
@Onkar ji, aapka bahut-bahut abhaar!!!
@सुशील कुमार जोशी ji, aapka bahut-bahut abhaar !!!
@Anita ji, aapka behad shukriya, bahut Abhaar!!!
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