Thursday, July 04, 2024

इंसान


 

ज़िन्दगी कभी तृप्त लगती है 

लगता है निकल जाना चाहिए 

कहते हैं न जब सुर बना रहे 

तभी गाना गाना बंद करना 

ताके यादें अच्छी रहे हमेशा !


ज़िन्दगी कभी बेकार सी लगती है 

लगता है निकल ही जाना चाहिए 

किसी को किसी की ज़रुरत नहीं 

जीने की अब कोई इच्छा भी नहीं 

निकल गए तो सब खुश तो होंगे

चलो अच्छा था अब चला गया !


क्यों सोचता है इंसान ऐसा ?

जो न ग़म, ख़ुशी में समझे फर्क 

और एग्जिट की ही सोचे हर वक़्त 

क्यों उस किनारे की तलाश करे 

जो समंदर के उस पार सी हो 

दिखाई न दे क्षितिजहिन दिशाहीन !!


~ फ़िज़ा 


Monday, July 01, 2024

ज्योति, जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ


 उसकी सादगी सीरत से है सूरत से नहीं 

उसका दिल भी किसी हीरे से कम नहीं !


जहां गंभीर हो स्तिथि तो सवेंदन कम नहीं 

वहीँ गाना बजे तो ठुमकेदार इस सा नहीं !


बातें तो सब करते हैं ये भी कोई कम नहीं 

जब आँखों से बोलतीं हैं उसका जवाब नहीं !


फुर्ती है मस्ती है बच्चों सी संस्कारी कम नहीं 

ये 'ज्योति', इसका प्रकाश दिये से कम नहीं !


ऐसी दोस्त सबको मिले जो फर्क करती नहीं 

आज मिलो या बरसों उसका प्यार घटता नहीं !


'फ़िज़ा' यही दुआ करे तेरी खुशियों में कमी नहीं 

पचास साल और आये किसी की लगे नज़र नहीं !


खुश रहती है ख़ुशी बांटकर कमज़ोर तो है नहीं 

सादगी और मोहब्बत को समझना निर्बल नहीं !!!


~ फ़िज़ा 


इंसान

  ज़िन्दगी कभी तृप्त लगती है  लगता है निकल जाना चाहिए  कहते हैं न जब सुर बना रहे  तभी गाना गाना बंद करना  ताके यादें अच्छी रहे हमेशा ! ज़िन्दग...