इंसान
ज़िन्दगी कभी तृप्त लगती है
लगता है निकल जाना चाहिए
कहते हैं न जब सुर बना रहे
तभी गाना गाना बंद करना
ताके यादें अच्छी रहे हमेशा !
ज़िन्दगी कभी बेकार सी लगती है
लगता है निकल ही जाना चाहिए
किसी को किसी की ज़रुरत नहीं
जीने की अब कोई इच्छा भी नहीं
निकल गए तो सब खुश तो होंगे
चलो अच्छा था अब चला गया !
क्यों सोचता है इंसान ऐसा ?
जो न ग़म, ख़ुशी में समझे फर्क
और एग्जिट की ही सोचे हर वक़्त
क्यों उस किनारे की तलाश करे
जो समंदर के उस पार सी हो
दिखाई न दे क्षितिजहिन दिशाहीन !!
~ फ़िज़ा
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