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कोवीड इस अचूक से आ मिला !

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 सकारात्मक  होना क्या इतना बुरा है ? के कोवीड भी इस अचूक से आ मिला  जैसे ही हल्ला हुआ के मेहमान आये है  नयी दुल्हन की तरह कमरे में बंद हो गये  स्वर्णयुग से नहीं थे जो छुईमुई बन जाते  काम-सपाटा ऑफिस का खत्म कर जल्दी  चले निद्रा को पकड़ने  या हो गए उसके हवाले  जो भी था  फिर तांडव रचा कोवीड ने अंदर  घुसा तो कहीं से भी हो मगर स्वयं स्थिर हुआ  राज रचा मस्तिष्क पर जैसे कोई प्रयोगशाला  जो भी हो रहा था  सब कुछ नज़र आ रहा था  जाने क्यों सपना हकीकत  नज़र आ रहा था  मृत्यु ,  मरना सिर्फ इस लोक के लिए है  वहां तो ये एक दरवाज़ा है  जहाँ से निकले  तो फिर मैं न मैं रहूं  और मैं भी न जानू मैं कौन हूँ ? ~ फ़िज़ा  

ख़ुशी

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ज़िन्दगी के मायने कुछ यूँ समझ आये  अपने जो भी थे सब पराये  नज़र आये सफर ही में हैं और रास्ते कुछ ऐसे आये  रास्ते में हर किसी को मनाना नहीं आया  कुछ पल ही सही हम सब जहाँ में आये  सिर्फ दूसरों को मनाने खुश करते रह गये  वक़्त के संग कुछ तज़ुर्बे ज़िन्दगी में आये  वक़्त ज़ाया न करो इन में ये समझ आये जिसका होना है वो हर हाल में हो जाये  दोस्त इन चोचलों के झांसे में क्यों आये?  ज़िन्दगी कई मौके दे -दे कर यूँ समझाये  खुद की ख़ुशी की खुदखुशी न हो जाये  ~ फ़िज़ा   

दिल की मर्ज़ी

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  खूबसूरत हवाओं से कोई कह दो  यूँ भी न हमें चूमों के शर्मसार हों  माना के चहक रहे हैं वादियों में  ये कसूर किसका है न पूछो अब  बहारों की शरारत और नज़ाकत  कैसे फिर फ़िज़ा न हो बेकाबू अब  सजने-संवरने के लाख ढूंढे बहाने  दिल की मर्ज़ी कब सुने किसी की आखिर हुस्नवालों बता भी दो वजह  फूलों के मुस्कान पे फ़िज़ा डोरे न डालो  ~ फ़िज़ा 

सेहर

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 सुबह की सर्द हवाओं से  एक हलकी सी मुस्कान  जैसे सूरज की किरणें  फैलतीं हैं रौशनी ऐसे  लगे गुलाबी सा गाल  एक सादगी और शर्म  दोनों ही साथ रहकर  नज़रों को बेहाल करे  पहली मोहब्बत का  नज़ारा सेहर दिखाए  ~ फ़िज़ा 

कल और आज

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  जब भी घर लौटते है  बचपन आ जाता है  आज और कल के  झलक दिख जाते है   समय ये ऐसा ढीट है  एक जगह ठहरता नहीं  बीते कल और आज में  ये एक पल स्थिरता के  फिर ढूंढ़ता रहता है  मैं कौन हूँ ? क्यों हूँ? इन सवालों के जवाब  तब भी और अब भी  ज़ेहन में घूमते रहते हैं ! ~ फ़िज़ा 

ज़िन्दगी का नाम है चलना

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ज़िन्दगी का नाम है चलना  बाकि सब नियति का खेलना  कुछ प्यारी ज़िन्दगी का जाना  कुछ प्यारी ज़िन्दगी का आना  मगर यादों की पुड़िया बनाना  वही है आखिर में रहा जाना  क्यूंकि जीवन का नाम है जीना  जीवनदान का दें हम नगीना   हर ज़िन्दगी न हो पाए बचाना  एक ज़िन्दगी ही सही, रचना  ज़िन्दगी का नाम है चलना ! ~ फ़िज़ा  

उसके जाने का ग़म गहरा है

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  जिस बात से डरती थी  जिस बात से बचना चाहा  उसी बात को होने का फिर  एक बहाना ज़िन्दगी को मिला  कोई प्यार करके प्यार देके  इस कदर जीत लेता है दिल  न हम जी पाते हैं उसके बगैर  मरते हैं पर उसकी हर अदा पर  ज़िन्दगी जीने का एक बहाना  जो देती है सभी को हर पल  उसके जाने का ग़म गहरा है  जिस कदर वो नस-नस में बसी  मुश्किल है इस दर्द की हद पाना  ज़र्रे-ज़र्रे में है यादों का नगीना   समझ न आये उसके जाने का  या फिर उसके ज़िंदादिली का  जश्न मनाएं !?! ~ फ़िज़ा