Saturday, May 21, 2022

ख़ुशी

ज़िन्दगी के मायने कुछ यूँ समझ आये 

अपने जो भी थे सब पराये  नज़र आये


सफर ही में हैं और रास्ते कुछ ऐसे आये 

रास्ते में हर किसी को मनाना नहीं आया 


कुछ पल ही सही हम सब जहाँ में आये 

सिर्फ दूसरों को मनाने खुश करते रह गये 


वक़्त के संग कुछ तज़ुर्बे ज़िन्दगी में आये 

वक़्त ज़ाया न करो इन में ये समझ आये


जिसका होना है वो हर हाल में हो जाये 

दोस्त इन चोचलों के झांसे में क्यों आये? 


ज़िन्दगी कई मौके दे -दे कर यूँ समझाये 

खुद की ख़ुशी की खुदखुशी न हो जाये 


~ फ़िज़ा 

 

6 comments:

Digvijay Agrawal said...
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Digvijay Agrawal said...

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 24 मई 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!

विभा रानी श्रीवास्तव said...

वक़्त के संग कुछ तज़ुर्बे ज़िन्दगी में आये
वक़्त ज़ाया न करो इन में ये समझ आये

–सहमत
सच्ची भावाभिव्यक्ति

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत ग़ज़ल

Jyoti Dehliwal said...

सुंदर प्रस्तुति।

Dawn said...

AAp sabhi ka bahut shukriya, dhanyavaad

करो न भेदभाव हो स्त्री या पुरुष !

  ज़िन्दगी की रीत कुछ यूँ है  असंतुलन ही इसकी नींव है ! लड़कियाँ आगे हों पढ़ाई में  भेदभाव उनके संग ज्यादा रहे ! बिना सहायता जान लड़ायें खेल में...