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Showing posts from May, 2020

मुझे घुटन हो रही है ..!

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मुझे घुटन हो रही है  मैं सांस नहीं ले पा रहा हूँ  मुझे तकलीफ हो रही है ! ये सुनकर भी ऐसा क्या  घृणा और ग़ुस्सा होगा  उस इंसान में  जो के अपने घुटने  उसके गले से बिना हटाए  ज़ोर लगता रहा  तब तक  जब तक उसकी सांसें  ख़त्म नहीं होतीं ! मुझे घुटन हो रही है  ये सब देखकर  किस ज़माने में हूँ  मैं ! कहाँ पुरातन काल में  सुना था बुज़र्गों से  तो इतिहास की  कक्षा में और  ये उम्मीद थी के  कलयुग में सब कुछ  अच्छा होगा  न्याय होगा  भेदभाव न होगा  जाती-धर्म का  बंधन घर तक सिमित होगा  पर किसी के साथ  अन्याय न होगा  आज मुझे घुटन हो रही है  ये किस ओर मानव-जाती  बढ़ रही है  क्यों एक दूसरे के  खून के प्यासे हो  चली है ! मेरा दम घुटता है  ये सोचकर के  #गेओर्गेफ्लॉयड  की सांस घोटकर  उसकी जान ले ली  और कानून के रक्षक  ये सब कर रहे थे और...

बचपन जवानी मिले एक दूसरे से...

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मेरा बचपन याद आता है इस जगह  वही पहाड़ वही वादियां वही राह  वही पंछी झरना और वही राग  खुश हो जाता है मन इन्हीं सबसे  जब बचपन जवानी मिले एक दूसरे से ! कितने अच्छे थे वो दिन सब सादगी में  जलते सब थे मगर रहते थे अपनी धुन में  छोटी-मोटी चाह हर किसी के दिल में  रहते थे अपने दायरे और फासलों में  थी ही कितनी बड़ी वो दुनिया छोटी सी ! कम में भी एक सुकून सा था जीने का  फ़िक्र थी भी तो इतना नहीं जीने का  एक-दूसरे की क़द्र थी दिल से मुहब्बत का  आजकल आडंबरी हैं अपने और अपनों का  अपनी हस्ती का बवाल मचा रखा हर तरफ का ! ~ फ़िज़ा 

ज़िन्दगी यही है और कुछ भी नहीं...

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खुद  में जब कोई खामियां है  ये जानलो तो लुटा दो सब कुछ  उन खामियों को बदलने में  ऐसा ही कुछ हुआ था मेरे संग  जब टेलीमार्केटिंग में औरों के मुकाबले मैं कम थी परिश्रम से  एक अच्छी बिक्री प्रतिनिधि बनी  जहाँ मेरी नौकरी ४ बजे से ११ थी  वहीं मुझे दो-तीन और काम मिले  अब मैं सुबह ८ बजे से ११ बजे तक  काम ही काम, अलग-अलग उत्पाद  उत्पाद में विश्वास हो तो काम आसान  हर उत्पाद बिकने लगा वो भी तादाद में  शायद मेरे ख्वाब में भी न सोचा हो मैंने  क्रेडिट कार्ड से लेकर बीमा तो बिजली  लम्बी दुरी पर फ़ोन करने के पैकेज  ये चीज़ें कोई खरीदेगा? वो भी फ़ोन पर? ताज़्ज़ुब की बात है मगर सही कहा है  दिल से दिल को राह होती है सही में ! एक मजले से दूसरे मजला और फिर  सारे ऑफिस में मैं जानी-पहचानी हुई  कई दोस्त बने कई प्रशंसक भी हुए  कितनों ने दिल दिए और कितने टूटे  कामियाबी खुशियां लाती हैं मोहब्बत भी  ज्यादा की उम्मीद तब भी नहीं थी  ज़िन्दगी ज़िंदाद...

मेरा पहला अनुभव था !

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ज़िन्दगी अकेले जीने के मज़े अलग हैं  जहाँ मौज समझते हैं वहीँ मायूसी भी  लेकिन अगर अपना लक्ष्य साध लो  फिर कोई तुम्हें नहीं रोक-टोक सकेगा  मेरा लक्ष्य यहाँ तात्कालिक ठहरना था  कॉल सेण्टर में सेल्स में ध्यान देना था  प्रशिक्षण को गंभीरता से लिया और उत्पाद को बेचना है उसे बेहतर जाना  उसके फायदे को समझ अपने लिए सोचा  एक बात अपने बारे में ये तैय थी  अगर दिल को भा गया उत्पाद तो फिर  किसी को भी बेचने में मुश्किल नहीं होती  मैंने इसी तरह दिल से बेचे वो सारे उत्पाद  जहाँ कभी भी बेचने का हौसला नहीं था  वहीं दर्जनों के हिसाब से मैंने उत्पाद बेचे  मेरी नौकरी अजीब थी बेचना काम था  मगर शाम ४ बजे  ११ बजे तक रात के  लोगों के घर पहुँचती जहाँ अभी ९ न बजे हों  दर-दर जाकर सेल्स करते सुना था देखा भी  मगर फ़ोन पर टेलीमार्केटिंग करते हुए ये  मेरा पहला अनुभव था ! ~ फ़िज़ा 

समायोजित करलो !

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प्रशिक्षण जिस तरह से दिया गया  उस से लगा कुछ बिक्री करना है  मेरी परिस्तिथि ऐसी भी नहीं थी   मना करके निकल जाऊँ वहां से  कभी-कभी लगता है वो अहंकार है  मेरे लिए कोई और चारा भी नहीं था  पढ़ाई यहाँ महंगी है बहुत ये जाना  नसीब से सीखने मिला सीख लिया  बात तय थी जहाँ से भी हो सीख लो  उपयोग हर स्तिथि पर काम आएगा  दो दिन के कठिन प्रशिक्षण के बाद  हमसे कहा गया अपनी जान डाल तो  कॉल सेण्टर में बिक्री करने के लिए  जब हर कोई हमें राय दे रहे थे के सेल्स  की नौकरी  करलो अंग्रेजी अच्छी बोलती हो  तब पसीने छूटते थे, अब भी कम नहीं था  अब तक ऑफिस के कपड़ों की ज़रुरत नहीं थी  रेस्टोरेंट में वहां का यूनिफार्म था एप्रन था  यहाँ तो रोज़ अच्छे सलीके से प्रोफेशनल होना है  मराठी महिला से हमने अपनी दुविधा कही  वो हमें लेकर गयी गुडविल की दुकान में  यहाँ कपडे दान देते हैं फिर उसे बेचा जाता है  कुछ एकाध कपडे खरीदे दफ्तर के लिए  इन सब से महिला खुश नही...

औरत को कौन जान पाया है?

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औरत को कौन जान पाया है? खुद औरत, औरत का न जान पायी  हर किसी को ये एक देखने और  छुने की वस्तु मात्र है तभी तो  हर कोई उसके बाहरी खूबसूरती  को ही निहारता है या फिर  नुख्स निकालता है ! औरत को कौन जान पाया है? खुद औरत, औरत का न जान पायी ! उसके पैदा होने से लेकर  उसकी खूसबसुरति और नियति  दोनों का ही भविष्य निर्धारित है  या तो बहुतों के दिल जलायेगी  या फिर खुद किसी दिन जल जाएगी ! औरत को कौन जान पाया है? खुद औरत, औरत का न जान पायी ! उसके लड़कपन पहुँचने तक उसकी  ज़िन्दगी हॉर्मोन्स की चपेट में आ जाता है  उसकी खूबसूरती का अनुमान फिर लगाया जाता है  उसके मुहांसे, उसका कद, उसका शरीर उसके लिए  एक मापने का यन्त्र बन जाता है  औरत को कौन जान पाया है? खुद औरत, औरत का न जान पायी ! लड़कपन से कब जवानी आयी और गयी  उसके तो हाथ भी पीले कर दिए और  अब वो दो-चार बच्चों की माँ बन गयी  तब भी बाहरी खूबसूरती की ही चर्चा रही  उसके हॉर्मोन्स उसका पीछा नहीं छोड़ पायी  ...

ज़िन्दगी में जोखिम तो उठाना पड़ता है ....

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मेरे इन सभी प्रयासों और जूझने में  कभी किसी का भी प्रोत्साहन नहीं था  हर कोई कहता केशियर की नौकरी जाने न देना रेस्टोरेंट में खाना तो है  या तो लोग जो है उसमें खुश हैं नहीं तो फिर कोशिश से ही डरते हैं  मेरी मुसीबत मेरी बोरियत तो थी ही  मगर पढ़ाई करके उसके अनुसार  नौकरी नहीं तो फिर क्या चुनौती  क्या नया कुछ सीखना या सीखाना  ज़िन्दगी दूभर लगने लगी और मायूस  अपने आपको चुनौती देना जोखिम उठाना  ज़िन्दगी को रोज़ नए सिरे से महसूस करना  शायद मेरे लिए ऐसा जोखिम उठाना ज़िन्दगी है  महिला संग अच्छे - बुरे सब दिन बीते  फिर वो दिन भी आया जब महिला को  हमारे भविष्य उन्मुख होने पर नाराज़गी  कुल मिलाके साढ़े तीन महीनों के बाद  महिला ने अपना घर देखने के लिए कहा यहाँ तक की खुद हमें एक जगह ले गयीं  घर किराये पर लेने के लिए २०० डॉलर दिए  महिला को यकीन नहीं था हम निकालेंगे  एक तो नौकरी ऐसी के न्यूनतम तनख्वा  ऊपर से २०० डॉलर लेकर भाग गए वो  फ़ोन लगाकर देखा...

हौसले को हमने डूबने नहीं दिया ...

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इन सब के बीच मेरी कोशिश ज़रूर थी  एक बेहतर नौकरी जहाँ अपने पढाई अनुसार  जिसे करने में ख़ुशी और सीखने का मौका मिले  तनख्वा इस तरह के गुज़ारा के बाद थोड़ा बचे  आखिर ख्वाब देखना कोई बुरी बात तो नहीं ! सौ जगह अलग-अलग बायोडाटा भेजा तब  सौ जहगों से अस्वीकार की चिट्ठियाँ आतीं  मगर हार फिर भी नहीं मानी भेजना काम था  एक दिन एक जगह से बुलावा आया फ़ोन पर  बात बनी साक्षात्कार हुए सवाल-जवाब देने ! सब ठीक था मगर साक्षात्कारदाता को लगा  मेरे पास सन्दर्भ कनाडा का नहीं है पर ज़रूरी है  हमने भी तुनककर कहा कोई नौकरी दे तभी न  सन्दर्भ की बात कभी तुम भी इसी स्थान पर थे  एक मौका आप्रवासियों को मिले तो नसीब खुले ! उच्चाधिकारी के साथ साक्षात्कार हुआ हमारा  बात तो सही हुई हमारी और उनकी मगर फिर  उच्चदाहिकारी ने कहा ये प्रारंभिक प्रयास होगा  कुछ साल बाद नयी औदे पर चली जाओगी  इसीलिए ये नौकरी आपको नहीं दे सकते हम ! सूरज को उगते देखा है हमने अस्त होते भी देखा  हिम्मत नहीं हारी ...

अपनी ज़िन्दगी अपने हाथ

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इस बीच थोड़ी मेरी नौकरी की तरफ  केशियर की ज़िन्दगी नोट गिनना नहीं  खाना बनाना, झाड़ू लगाना बर्तन धोना  कई बार लगा इतनी दूर आकर क्या किया  विकसित देश में सोचा डिग्री काम आएगी  यहाँ आप्रवासी को पापड़ बेलने पड़ते हैं  खैर किस्सा एक दिन का ऐसा हुआ शनिवार का दिन था गर्मी का मौसम  रेस्टोरेंट में पर्यटकों की भीड़ होती थी   कमाई भी बहुत हुई थी उस दिन  हमारे कॅश ट्रे में अमरीकन डॉलर थे   एक ग्राहक को मदत करते वक़्त  पीछे से एक हाथ आया कॅश ट्रे पर  हमने भी उस हाथ को दबोच लिया  उसने झट हाथ में जितने पैसे आये  लेकर फरार होने की कोशिश की  हम कहाँ जाने देते उसे ऐसे पकड़ लिया  राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में पले -बढे हैं   यूँही थोड़ी किसी को आसानी से जाने देते  जोश में पकड़ तो लिया था चोर को पीछे से  ७ फुट का इंसान और उसकी कमीज हमारे हाथ  हम सिर्फ ५ फुट ४ इंच के मगर जोश कम न था  बहादुरी से चोर को पकड़ा और उसे छोड़ भी दिया  ये भारत देश नहीं जहाँ एक...

सेहर से शाम सूरज भी एक सा नहीं होता ...!

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यहाँ कुछ एक हफ्ता मुश्किल से रहे  फिर हम नए अपार्टमेंट में रहने लगे  यहाँ कमरे की सहूलियत तो नहीं थी  हमने बेटी संग कमरा साझा किया  बच्ची संग दिन अच्छा गुज़रता मगर  अब अपने काम के बाद दिन में भी  दूसरे रेस्टोरेंट में काम करते बेकरी में  बड़े जगहों के बड़े-बड़े नाम हैं सिर्फ  वहां काम करनेवालों की सोचो तो  बहुत ही न्यूनतम तनख्वा में पिसते है  ज़िन्दगी में यही एक ध्येय रेहता   कितने अधिक घंटे जुटा पाए बूँद बूँद से  उतने ही अधिक वेतन मिलेगा परन्तु  बात वही पे आजाती हैं जितना कमाओगे  उतना ही सरकार को कर देना होगा  कम कमाओगे तो घर-खर्चे पूरे नहीं होंगे  इसी चक्की में दुनिया पिसती नज़र आयी  अच्छा खासा नौकरी हम भारत में छोड़ आये  सोचा क्या इसीलिए हम इतनी दूर आये? मन को ये मंज़ूर नहीं था और नौकरी यही है  ऐसा अनुमान जताना महिला का धर्म था  सच कहें तो दुःख भी होता था ये सब देख  इस घर में भी सभी को अपना समझा  महिला दिन में दफ्तर ...

कुछ खोया कुछ पाया ...

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मराठी महिला ने कहा था हमसे फ़ोन पर  घर पर पति होंगे सामान लेकर चली आना  हमने भी कहा पादरी छोड़ने आ रहे हैं घर पर  चौकन्ना उन्होंने अपने पति को भी कर दिया  येशु के गीतों को सुनते हुए किंग स्ट्रीट पहुंचे  डाउनटाउन जगह है काफी हलचल थी यहाँ  दो मजले का टाऊनहाल था महिला का घर  दरवाज़ा खटखटाने तक पादरी दौड़ के आये  उनके पति ने दरवाज़ा खोलते ही परिचय दिया  हमने भी हाथ बढाकर परिचय दिया और फिर  कहा ये हैं पादरी मुझे छोड़ने आये हैं यहाँ  महिला के पति ने मुस्कुराकर कहा पादरी से  गाडी ग़लत जगह खड़ी है पुलिस ले जाएगी  पुलिस का नाम सुना और पादरी झट दौड़े  उसके बाद मैंने फिर कभी पादरी को नहीं देखा  घर पर अच्छा स्वागत किया गया मेरा और  मराठी महिला के पति जो की गोवा से थे  अच्छा सत्कार किया कमरा भी दिखाया  शाम अजीब थी कुछ खोया कुछ पाया  ऐसे ही एक एहसास से भरी शाम थी वो  महिला की ९ साल की बेटी संग बीता शाम  पति भी मुवनपीक में रेस्टोरेंट मैनेजर है मुझ से...

खैर, वो दिन आया...!

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आपको कोई रुलाये ये हक़ तो किसी को नहीं  सिवाए अपनों के ऐसा करता भी तो कोई नहीं ! यहाँ मगर अपना बनाया किसने उन्होंने तो नहीं  ये तो मेरी दिल्लगी थी जो मैं अपना समझ बैठी ! शाम को लौटी घर तो कहा पादरी और बीवी से कल ही निकल जायेंगे दूसरे किरायेदार के पास ! ये सुनकर तो बिलकुल खुश नहीं हुए वे दोनों  पूछ बैठे कहाँ जा रहे हो और इतनी जल्दी कैसे? कहा जो तुमने हम से, नहीं परेशान करना तुम्हें मराठी महिला से कहा संभाल लिया उन्होंने हमें ! पादरी की बीवी नाखुश थी इस बात से मगर  कहा किराया वहां भी देना है तो यहीं देदो हमें ! इस बात पर लगा जैसे हम फिर बंध जायेंगे यहाँ  झट से झूठ कहा दिया किराया कुछ देना नहीं वहां ! जैसे ही ये सुना, पादरी की बीवी कुछ बोल नहीं पाई  हमें इस तरह वहां से निकलने की इजाज़त मिल गयी ! पादरी सोये नहीं शायद सुबह का रवैया अलग था  हमने सामान बांध लिया था तैयारी पूरी थी हमारी ! सुबह नाश्ते के वक़्त पादरी बोले जाना ज़रूरी नहीं है  यहाँ रेहा सकती हो मैंने जो कहा तुमने दिल पे लिया ! ...

आसमान से गिरे और खजूर पे अटके

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रोते हुए मैं निकली तो थी मगर मस्तिष्क  पहेलियों को सुलझाने की लड़ी खोज रहा था  अब तक मैं ज्यादा लोगों को तो नहीं जानती थी अगर जानती थी तब भी मदत की गुंजाईश कम थी   किसी वजह यमुना को तंग नहीं करना चाहती थी  एक ही नियोक्ता है सो मराठी महिला को फ़ोन लगाया  बड़ी मिन्नत करके कहा मुझे किराये पर कमरा चाहिए  किसी से भी केहा कर मेरे लिए किराये का एक कमरा  कहीं से दिला सकती हैं अपने दोस्तों या अपने ही घर में? मैं किराये के अलावा आपकी बेटी की देखभाल करुँगी  मराठी महिला पहले तो बोलीं के नहीं-नहीं मेरे घर में नहीं  मेरे पति अलग हैं अपनी बेहन का भी यहाँ रहना पसंद नहीं  अपनी सहेली से पूछती हूँ वो किराये पर कमरा देती है देखें  मैंने मिन्नत की देखिएगा पादरी के घर पर रहना मुश्किल है  वो निकाल देंगे या धर्म का ज़ोर देंगे मुझे मेरी सुरक्षा ज़रूरी है  मैं तुम्हारे घर रेहा लूँ किराया तुम्हें दे दूँगी तुमसे जान-पहचान है  मगर उन्होंने मना कर दिया साफ़, उस वक्त गला सूखने को आया  इस उम्मीद में के स...

वो रात अजीब थी...

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चित्र: मेरा वो कमरा पादरी के घर में शाम को नौकरी से घर लौटी  रात का खाना खा चुकी थी मैं  पादरी ने कहा कुछ बात करनी है  पादरी की बीवी बच्चे घर पर नहीं होते  दिन में मेरे जैसे जवान पादरी के साथ आप  लोग बातें करने लगेंगे हमारे तुम्हारे बारे में  इसीलिए आप ये घर छोड़कर दूसरा घर ले लें  मैं हैरान रेहा गयी भला मेरे पिता की उम्र के  इन्हें और मुझे कौन बदनाम करना चाहता है  मैं सोच ही रही थी की पादरी ने कहा, सुनो..  तुम क्यों नहीं मेरा दूसरा घर जो खाली है  किराये पर ले लो दो बैडरूम का घर है  तुम जितनी जल्दी हो वहां बदली करलो  सुनकर अजीब लगा एक जान और दो बैडरूम  इतने बड़े घर का मैं अकेली क्या करूंगी  और तो और ५०० डॉलर किराया भी ? अभी का किराया भी मुश्किल से चलता है  यकीनन पादरी भी जानते थे मेरी हद्द क्या है  मगर एक मानसिक यातना देने का एक तरीका  उस रात मैं परेशानी में सोने गयी येशु घुर्र रहे थे  मैं भगवान से पूछ रही थी क्या यही सजा है ? धर्म बदलो वर्ना मानस...

एक बहुत बड़ा अपराध था जो मैंने किया..

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ज़िन्दगी पादरी के बिना अच्छी गुज़र रही थी  सप्ताहांत मैं भी नौकरी करके देर रात घर आती  काम करने वाले दिन घर के काम ट्यूशन देती  शाम को पादरी के बेटी संग ER कार्यक्रम देखती  वो भी चादर के अंदर मिनी-टेलीविज़न को छुपाकर  पेंटेकोस्टल धर्म में टीवी देखना नाच-गाना हराम है  बेटी अच्छा गाती है सिर्फ येशु के गीत की इजाज़त है  सभी अपने सपने पूरे करने के चक्कर में जी रहे हैं  यमुना से बात होती हफ्ते भर की थकान मिटती तब  ज़िन्दगी अच्छी गुज़र रही थी के पादरी भारत से पहुंचे  जिस दिन आये उसी दिन अनुवाद का विवरण लेने लगे  ज्यादा खुश नहीं थे वो मुझ से मेरे अनुवाद की प्रगति से  रविवार का दिन था और मैं काम से घर पर देर रात आयी  याद आया टॉम सुबह मलेशिया जाने वाला था काम से  सर में दर्द की  वजह से दवाई खा कर मैं सो गयी थी  सुबह के तीन बजे पादरी ने दरवाजा खटखटाया ज़ोर से  उठ नहीं पायी दवाई के असर से, उठना भी नहीं चाहा  सुबह नौ बजे उठी काम पर जाने तब पादरी वहां आये बहुत खरी-खोटी सु...

मुझे अपना देश बहुत याद आ रहा था ...

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तो बात हम कर रहे थे  पादरी की बेटी जिसने  हमें दुनिया दिखाना चाहा  बस से उतरे और क्या देखा हलचल थी वही बाजार जैसी  ज़ोर से लाउडस्पीकर बज रहा था गीत अभी भी याद है कौनसा था  'तू मेरा तू मेरा तू मेरा हीरो नंबर वन' मेरी आँखों में आँसू आ गए थे  पादरी की बेटी यही तीव्रता देखना चाहती थी  मुझे अपने देश को छोड़े एक महीना ही हुआ था  मुझे अपना देश बहुत याद आ रहा था  यही बात थी की मैं हिंदी गीत सुनकर  रो पड़ी और ज़ोर से रोई जहाँ कोई बंदिशें नहीं थीं  यही दृश्य देखकर पादरी की बेटी घबरा गयी  पूछने लगी आप ठीक तो हो? मैं तो   बस  आपको  दिखाना चाहती थी ये जगह   मुझे यकीन था आपको पसंद आएगी ये है   जेरार्ड स्ट्रीट, नाम अंग्रेजी  मगर अपना एक छोटा सा देश समाता है यहाँ  भारतीय गली-कूचों सा जैसे दिल्ली में  कन्नौट प्लेस या फिर पुणे में लक्ष्मी रोड  भरी बाजार भीड़-भाड़ जैसे कोई मेला हो  ज्यादा देर तो हम नहीं थे वहां क्यूंकि  पाबंदिया...