ये सर्दियाँ मुझे बांध रखतीं !


सबकुछ तो अच्छा ही है 
हर तरफ ये हरियाली है 
बस, इन सबको देखूं मैं 
सुकून से और आराम से 
न कहीं जाने की जल्दी 
किसी के आने का भरम 
खाने की सुध नहीं जहाँ 
वक्त के अधीन नहीं वहां 
बस मैं और मेरी तन्हाईयाँ 
सुकून का आलंबन हो जहाँ 
मैं, फ़िज़ा और तुम वहां 
ऐसी कुछ आलस से भरी  
ये सर्दियाँ मुझे बांध रखतीं 
सबकुछ तो अच्छा ही है 
दिल घर-सीमित चाहता है 
छुट्टिंयों के कुछ लक्षण हैं 
कम्बल में सिकुड़ना चाहता है 
सबकुछ तो अच्छा ही है 
अब कुछ आराम चाहता है !

~ फ़िज़ा 

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