चाय की चुस्की

 


चाय की पत्ती पानी संग 

कुछ उबाल दूध चीनी का  

ढेर सारा प्यार दोस्ती का 

चाय की चुस्की में मानों 

सुख मिले सारे संसार का   

दोस्ती और चाय के किस्से 

जग-ज़ाहिर हैं कई ज़माने से 

एक चुस्की और गयी थकान 

गुज़रे कई सालों के साथ आयी 

कई किस्से कहानियां बचपन की 

वो अदरक की चाय और प्रशंसा 

चुस्की बाद सभी का दुलार - प्यार

मानों एक लम्बे सफर के बाद का 

ठहराव !!!

~ फ़िज़ा 

Comments

Nitish Tiwary said…
चाय कलयुग का अमृत है और चाय पर कविता। क्या कहने!
anita _sudhir said…
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-06-2021) को 'भाव पाखी'(चर्चा अंक- 4101) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।

अनिता सुधीर
चाय हर किसी की प्रिय! वाह सुन्दर रचना!
बहुत ही सुंदर सृजन।
Onkar Kedia said…
बहुत ही सुंदर
बहुत खूब...
उम्दा ...
सुंदर एहसास अनमोल से।
बहुत सुंदर
Dawn said…
Aap sabhi ka behad shukriya :) houslafzayi ka bahut-bahut shukriya
Abhar!
चाय में शक्कर नहीं डाला करो, बस मुस्कुराकर सामने प्याला करो

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