दिल या दिमाग ?
आज कॉलेज के दोस्तों संग
यूँही बातों-बातों में दो पक्ष
दिल व दिमाग की हुई जंग
दिल तो है ही दीवाना मेरा
मैंने तो सिर्फ दिल की सुनी
जो दिमाग के पक्ष में था वो
दिल से दिमाग कह रहा था
साथियों के इमदाद से जो
बहस-मुबाहिसा हुई दोनों में
क्या कहना उस वक्त का
उसे भी हराकर बात बढ़ी
दोस्तों संग फिर कब होंगे
आमने-सामने पता नहीं
पर चैटिंग करते दिन पुराने
कॉलेज के यादों में चला गया
उम्मीद पर कायम है दुनिया
और हम तो मिलेंगे फिर से
जब हो परिहार महामारी का
शायद तब भी दिल और दिमाग
की ही जंग में खुल जायेंगे सब
बचपन के बंधे गिरह दिल के और
दिमाग के !
~ फ़िज़ा
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की ही जंग में खुल जायेंगे सब
बचपन के बंधे गिरह दिल के और
दिमाग के !---बहुत अच्छी रचना। वाकई इन दिनों इन्हीं के बीच संवाद हो रहा है।