बस इंतज़ार है के कब दीद हो रंगीन फ़िज़ा में !!
किसी के रहते उसकी आदत हो जाती है उसके जाने के बाद कमी महसूस होती है ! हर दिन के चर्ये का ठिकाना हुआ करता है अब जब गए तो राह भटके से ताक रहे हैं ! जब साथ रहते हो तब उड़ जाते हैं हर पल अब काटते नहीं कटते ठहर गए सब पल ! महसूस हो गया है तुम्हारे रहने और न रहने में बस इंतज़ार है के कब दीद हो रंगीन फ़िज़ा में !! ~ फ़िज़ा