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Showing posts from March, 2018

मचलते हैं अरमान मेरे दिल में जवां ...!

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अंगड़ाई लेते हुए बादलों का कारवाँ  चले हैं बरसाते हुए झरने कई यहां  मचलते हैं अरमान मेरे दिल में जवां   सौंधी खुशबु गिली मिटटी नहरें यहाँ  हरियाली हर तरफ गुलाबी दिल कहाँ   भीगे रुत में भीगे अरमान भीगे ये समां  मुझे कायल करते हैं पिया की अदा  बेबस हूँ आज बस निकल जाने दो  भीगना है मुझे जैसे भीगे हैं अरमां    कोई केहदो जहाँ से न आये यहाँ  हम हैं ग़ुम अपने ही खवाबों में जहाँ  सिर्फ हम हैं वो है और ये समां  अंगड़ाई लेते हुए बादलों का कारवाँ  चले हैं बरसाते हुए झरने कई यहां  मचलते हैं अरमान मेरे दिल में जवां  ~ फ़िज़ा 

नयी खोज में नया सफर है ...

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नए डाल पर फिर इतराने  निकल पड़ा है चंचल मन  नयी कोंपलें, नयी पत्तियां  नयी खुशबु सी महकाते चल    छोड़ पुराने पगडंडियों को  नयी खोज में नया सफर है  भीगे ज़मीन में खुले आसमान पे  ख़्वाब सजाने और संवारने कोमल अरमान खिल गए हैं  वही जोश है वही हौसला भी  जो कभी था बचपन में साथी  नए डगर की तलाश आज  फिर मुझको युवा बना गया  नए सलिखे नयी बातें सब  सीखने के फिर दिन आये हैं  चलो बैठकर ज्ञान ले लें  कब ऐसा मौका मिल जाये  नए खेत में नए खलियानों में  खेल-कूदने के दिन आये हैं  नए डाल पर फिर इतराने  निकल पड़ा है चंचल मन ! ~ फ़िज़ा 

ज़िन्दगी को गले लगा लें ...!

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एक रिश्ता सा बन गया है  अब तो जैसे  खांसी न आये तब भी  लगता है आ रही है ! सांस चल रही है ज़िन्दगी की  मगर ऐसा लगता है अब  खांसकर तबाहकर   अब गयी तब गयी ! मौत भी एक फरिश्ता है  जो के रिश्तों की तरह  बेकार होगयी जाने क्यों  झांसा देकर चली गई ! ज़िन्दगी को गले लगा लें  शायद इसे बहका सकें  हंसती है दूर से मगर  पास से रुलाती है ! ~ फ़िज़ा

उसके मिलने की ख़ुशी का आभास ...!

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खिलने के पेहले और  खिलने का वो प्रकरण  जाने कितनी प्रक्रिया से  गुज़रते एहसास नितदिन ! वहीं खिल जाने के बाद  खिलकर बिखरने का पल  ऊंचाइयों से गिरने का डर   ऊंचाई से गिरते वक्त का भय !! जाने कितने ही एहसास दबाये  मानसिक वेदना का घूंट पीकर  अनजान नज़ारों का भय संजोकर जीवन को बना लिया एक लिबास !!! फिर वो वक़्त भी आया मेरे पास  घुटने टीकाकार उठने का प्रयास  किसी भय का नहीं अब निवास  उतार फेंका डर का वो लिबास !!!! आज़ादी मिली नहीं मगर फिर भी  उसके मिलने की ख़ुशी का आभास  समझा सकता है दर्द की कश्ती हज़ार  आखिर उड़ सकती हूँ मैं भी पंख पसार !! ~ फ़िज़ा