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Showing posts from April, 2016

आगे बढ़ो !

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कहते हैं ग़लतियाँ करो  आगे बढ़ो ! जीवन है बेहने का नाम  आगे बढ़ो ! सफर कठिन है फिर भी  आगे बढ़ो ! हार गए तो क्या उठो और  आगे बढ़ो! फिसले तो संभलो फिर भी  आगे बढ़ो! जीवन का नाम ही चलना है तो  आगे बढ़ो! जब आना और जाना अकेले है तो  आगे बढ़ो!  तुम ही तुम्हारे दोस्त हो और दुश्मन भी  आगे बढ़ो! मरना सभी को है एक दिन तो  आगे बढ़ो! उम्र दराज़ में लाये हो या नहीं  आगे बढ़ो! ज़िंदादिली का नाम ही ज़िन्दगी है  आगे बढ़ो! ~ फ़िज़ा 

कुछ ख्वाब देखे रखे सिरहाने

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कुछ ख्वाब देखे रखे सिरहाने  कुछ दिनों बाद फिर लगे लरजने  कुछ-कुछ है याद रूमानी बातें  वो सुलझी हुई लटें और बिखरे बादल   वो पानी का बरसना ठंड से सिमटना  साँसों की गर्मी और फिर रूमानी हो जाना  कैसे धुंधले हैं यादें जो कभी रखे थे सिरहाने  लगे कुछ गिले जुल्फों के तले आज  याद आये वो पल भी गुदगुदाने के बहाने  कुछ नज़रें मिलीं कुछ यादें संजोए  फिर निकल पड़ी लहरों को सजाने  मतवाले चंचल बेज़ुबान दिल  ~ फ़िज़ा 

दो-नाव में सवारी न करो तो ही अच्छा है...!!!

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ऐसा भी एक वक़्त आता है  के कोई वक़्त नहीं रहता है  हर एक की कोशिश होती है  फिर कोशिशें भी बेकार होती है  हर तरफ से हौसला रखते हैं  फिर हौसले को दफा करते हैं  हर बार अच्छाई को सोचते हैं  फिर उसकी भी कमी नहीं होती है  सोचने को तो हर कोई सब कुछ कर सकता है  सोचना ही छोड़दे तो किसका भला है  सच्चा-झूठा का भी वक़्त निकल जाता है  बस आर-रहो या पार ऐसा वक़्त आता है  किसी ने सच ही कहा, जब भी कहा है  दो-नाव में सवारी न करो तो ही अच्छा है !!! ~ फ़िज़ा 

उसने फूल भेजे थे पिछले इतवार

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उसने फूल भेजे थे पिछले इतवार  मैंने सोचा चलो नयी है शुरुवात  हर पल यही दुआ रही रहे साथ  न हो खट -पट न हो बुरी बात  जैसे गुज़रा दिन डर भी रहा साथ  सोमवार से शुक्र तक गुज़री ये रात  आया शनिवार बदला मौसम हुई बरसात  फिर आया इतवार तब समझी ये बात  पुष्पांजलि लेके आये थे देने मुझे इस बार  मैं ही पागल थी, समझी नहीं पुष्पांजलि है मेरी सौगात ! ~ फ़िज़ा