उसकी एक धुन पे चलने की सज़ा ये थी...
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उसने कहा मैं तुम्हें चाँद तक ले जाऊँगा हो सके तो अगले जनम तक पीछा करूँगा उसकी एक धुन पे चलने की सज़ा ये थी हर ताल पे ता-उम्र चलने की सज़ा मिली साथ होने का असर यूँ तो देखिये हुज़ूर हमेशा के लिए कैदी बना दिए गए बंधी की हालत न पूछो यूँ हमसे वो इसे मोहब्बत समझते रहे ऐसे बीते जिस पर वही जाने हैं हाल बांधकर भी कोई आज़ाद रहता है? फ़िज़ा