क्यों वक़्त ज़ाया करें ये एक जवाब बन जाता है !

कोई दूर से ही सही सहलाता है मुझे सुनता है 
पल भर के लिए ही सही मेरा अपना लगता है 
पास रहकर भी न जो जाने वो ये एहसास है 
क्यों वक़्त ज़ाया करें ये भी एक सवाल है ?
पलछिन की ज़िन्दगी पलछिन का खेल सब है 
सोचने में गुज़र जायेगा पल क्या खोया क्या पाया है 
वक़्त कट जायेगा हल वही का वही होना है 
क्यों वक़्त ज़ाया करें ये भी एक सवाल है ?
बरसों किसी की गलतियों के निशान ये है 
गुज़रे ज़माने की परछाइयाँ लेके साथ है 
आज जो है वो कल न होगा ये हकीकत है 
क्यों वक़्त ज़ाया करें ये भी एक सवाल है ?
अपने वक़्त न लगते पराये हो जाना है 
कोशिशें भी अक्सर असफल करती है 
कल और आज का नज़ारा बदला सा है 
क्यों वक़्त ज़ाया करें ये भी एक सवाल है ?
यही एक सोच, सिर्फ एक सोच न है 
लागू करने में वक़्त कहाँ लगता है 
हर संयम का साथ खो देता है 
तब सवाल जवाब बन जाता है 
क्यों वक़्त ज़ाया करें ये एक जवाब बन जाता है !

~ फ़िज़ा 

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