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Showing posts from January, 2015

अधूरा लगता है....

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तुझ से बात नहीं होती तो अधूरा लगता है  तेरा साथ  ना हो तो सफर अधूरा लगता है  फिर भी जब ये बात केहता हूँ तो पूरा लगता है सेहर के साथ मेरी शाम ढले लगता है  शाम आते ही सेहर पास लगता है  इस सेहर और शाम के फासले दूर लगता है  कब ये अधूरा पूरा हो यही अब सोचने लगता है  सफर में हूँ पटना से इंदोर व्यस्त लगता है  सफर में हमसफर भी हो साथ अच्छा लगता है  सफर में धूप भी एक  नमी  सा लगता है  ~ फ़िज़ा 

गुनेहगार 'फ़िज़ा' हो ....

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गुफ्तगू हो मुलाकात हो जो भी हो  किसी को ना चाहते हुये, परेशन वो हो मस्तियाँ हो, हॅसी-मज़ाक हो, संजीदा ना हो कोई एक भी हो  तो हर तरफ तूफान का अंदेशा हो ज़ेहन की बात आई हो मगर केहना ज़रूरी हो? ऐसी भी बात ना  हो वर्ना हादसे जाने कितने हो बातों से तंग करना कभी सताना भी हो  लेकिन इस खेल में चिंगारी हमेशा हो  किसी के इज़हार में कभी दिल्लगी हो  उसी की बातों में कभी सच्चाई हो बातों में इज़हार में अफरा तफरी हो एहसास में भी कुछ खास हो  हर सूरत हसीन हो, ना हाँ ना ना हो तब भी हरतरफ से गुनेहगार 'फ़िज़ा' हो  ~ फ़िज़ा

दुआयें देते हैं लम्बी उम्र-ए--दराज़ अब

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सुबहा कब होती है और शाम कब इसका पता चलने लगा है मुझे अब  दोस्ती हुई है किसी से इस कदर जब बातों की फुलझड़ी होने लगीं तब सिलसिले शुरू हुये ट्वियर पर तब  गुज़रेगी यूं भी कभी सोचा नहीं तब जन्मदिन का अवसर आया है अब सोच में हूँ मैं तोहफा क्या दूं अब लिखें हैं कुछ अल्फ़ाज़ दिल से अब  यही कहेंगे दास्तान सभी को  अब  दुआयें देते हैं लम्बी उम्र- ए- -दराज़ अब  मिलेंगे फिर एक बार हम-तुम तब  ~ फ़िज़ा 

खयालों में बस गया बिन बताये मेहमान.. :)

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उम्र गुज़ारेंगे हम कभी यहाँ तो  वहां कभी  अधूरी मुलाकाते भी होती है यहाँ बातें चंद ही हुई हसते-मुस्कुराते जहां  ज़िंदगी भर की निशानी ले चले यहाँ से वहां आधी मुलाकात, अधूरी बात मगर हैरान खयालों में बस गया बिन बताये मेहमान ऐसा क्यूं के दूर जाकर ही समझे कोई अधूरी ज़ुबान कैसे और कब कोई ना जाने अधूरे हुये मेहरबान सोचे 'फ़िज़ा' इस अधूरे-आधे इज़हार-ए- सुभान होती है पेहचान भले ही अधूरे दिल जवान ~ फ़िज़ा

Ek muskaan halki see sahi kisi ko dua hee de dena

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Naye saal mein kuch nahi badla  Na kuch badlega taareekhon ke alawa Gar kuch kar sakte ho to tum than lena Dil se dil mila lena Dosti na karo tab bhi bura na karna Acche logon ki kami nahi magar acchaiyan kam na karna Ek he hai jeevan sabko milta Eklauta sa vyavahar sabke sang karna Pyaar-mohabbat na kar paaye jaanvaron se seekhlena Ek muskaan halki see sahi kisi ko dua hee de dena Koi na chota na bada yahan pe beshak mehalon mein rehana Jab zindagi se alvida honge tab har kisiko ek hee savaari mein hai chalna Tu na chota hai na bada ye na samajhna Paanchon ungaliyon ki tarah ek hee haath ke bane rehana Waqt aaye to muthi ban jaana Magar kisi ko dukh na dena jeena aur jeene hee dena Bas yehi dua is saal tum karlena ~ fiza