कभी ऐसा हुआ है जब आपको ही नहीं मालूम आपका दिल क्या चाहता है और दिल की असमंजस में वोह बहका हुआ सा तो कभी उलझा हुआ सा रहता है. जो भी हो, ऐसे में वोह बहुत कुछ गँवा बैठता है ...कुछ चाँद अल्फाजों में प्रस्तुति करने का प्रयास ...
आज ये क्या होगया है , आज ये क्या होगया है
न दिल जानता है , न हम जानते हैं
गडगडाहट सी बारिश , न हम भीग रहे हैं
न दिल भीग रहा है , आज ये क्या होगया है
बारिश हो हम न हों कहीं , ऐसा पहली बार हुआ है
बरखा से दूर कहाँ जा रहा है , आज ये क्या होगया है
न कुछ सूझता है , न कुछ समझता है
बीमारी कुछ नहीं है ,हाल बीमारों सा है
आज ये क्या होगया है , आज ये क्या होगया है
न दिल जानता है , न हम जानते हैं
~ फिजा
3 comments:
Khamoshiyaan sunaayi deti hain...
Lafz labon pe ladkhadaate hain...
Pata nahin kahaan kahaan se ye log chale aate hain...
Aane do... Fiza...
Love Labaalab...
Snowa Borno
from "snowa... the mystica" Blog.
touchy one!
Par kabhi kabhi khamoshiyan
Ban jati hain vivashtayen.
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