Posts

सहानुभूति के अल्फ़ाज़

Image
  ज़िन्दगी के चंद हसीन पल ज़िन्दगी बनाने में सफल हैं  वर्ना यहाँ आये दिन तीखे शब्दों के बाण कम नहीं ! शुक्र है चंद ऐसे भी हैं जो न जानते हुए भी समझते हैं  वर्ना हर कोई अपनी अपेक्षाओं की थाली परोसे हैं ! कहाँ मिलते हैं लोग जो मैं को छोड़कर आप में बसे  यहाँ तो हर कोई खुदी में खुदा बना नज़र आता है ! जग से हर किसी को उठना है एक न एक दिन फ़िज़ा  यहाँ इंसान एक दूसरे की नज़रों से ही उठा जा रहा है ! रेहम! दोस्तों ऐसे भी हैं जो अंदर ही अंदर कूटते हैं  कुछ सहानुभूति के अल्फ़ाज़ नहीं तो इशारा ही दे दें ! ~ फ़िज़ा 

क्रिसमस का चुम्बन

Image
  बिस्तर की सिलवटों से निकलते   कमरे से अंगड़ाई लेते हुए  जब कमरे में मैं आयी  उसकी नज़र मुझ पर पड़ी  'आई लव यू'  की सिली-सिली हवा  मेहकने लगी ! क्रिसमस के तोहफे समेटकर  वो सीधे कमरे की ऒर बढ़ा  दरवाज़े की चटकनी लगते ही  बाँहों में भर उसने जो चूमा  सीधे दूसरे कमरे ले जा  उसका असीम चूमना   सोचते रेह गयी साल ख़त्म  या शुरू हुयी इस तरह ! ~ फ़िज़ा 

ज़िन्दगी दे उम्मीद

Image
  ज़िन्दगी दे उम्मीद तु उसे नज़रअंदाज़ न कर  ये ज़िन्दगी के वो ईशारे हैं जो बुलंद कर दे ! हस्के मिलो सभी से दुश्मनी कहाँ है किसी से   खाली हाथ आये तो खाली हाथ ही जाएंगे ! दुरी रखो जहां तख़मीना हो जल जाने का  इंसान से क्या डरना जब मरना है सबको ! रिश्ते प्यार के बन भी जाये कभी विषाक्त  दोस्ती के नाम से हुतात्मा निरर्थक है दोस्त ! ज़िन्दगी है जब तक तू जीवित है फ़िज़ा  मरकर भी क्या कोई जी सका है यहाँ !! फ़िज़ा 

अच्छी यादें दे जाओ ख़ुशी से !

Image
  गुज़रते वक़्त से सीखा है  गुज़रे हुए पल, और लोग  वो फिर नहीं आते ! मतलबी या खुदगर्ज़ी हो  एक बार समझ आ जाए  उनका साथ फिर नहीं देते ! पास न हों पर अच्छे हों  बात रोज़ न हों पर सच्चे हों  ऐसों को हमेशा साथ रखें ! हर कोई जूझ रहा ज़िन्दगी में  टेढ़े मुह बात भी करे तुमसे सहानुभूति रखें सभी से ! ज़िन्दगी सिर्फ चार पल की  अहंकार में खोना न सच्चे रिश्ते  अच्छी यादें दे जाओ ख़ुशी से ! ~ फ़िज़ा 

सुना है इलेक्शन बस एक खेल है !!

Image
  हर तरफ एक खौफ सा माहौल है  सुना है इलेक्शन का ये सब खेल है  अब तक इतनी उत्तेजना नहीं थी कभी  फिर आज-कल में क्या होगया ऐसा ? सुना है इलेक्शन का ये सब खेल है ! पेहले ये नहीं तो वो पार्टी जीतेगी बस  सब कुछ तो अच्छा ही चल रहा है  एक साल इसे तो दूजे में उसका राज  माहौल तो वोही है जैसे थे वैसे हैं  सुना है इलेक्शन का ये सब खेल है ! ये खौफ क्यों? इलेक्शन ही तो है  किसी ने कहा इस डर की वजह  यहां की जनता ही है जिसने चुना  ट्रम्प, निठल्ला नफरत फैलाने वाला   सुना है इलेक्शन का ये सब खेल है ! डरना तो पड़ेगा अपने हक़ की बात है  किसी बन्दर के हाथ में तलवार देकर   राजा भी खुद की नाक न बचा पाया  डरना क्या, वोट दो जनहित के लिए  कमला को लाओ इलेक्शन तो खेल है ! सुना है इलेक्शन बस एक खेल है !! ~ फ़िज़ा 

अम्मा का प्यार

Image
दुःख क्यों होता है ये ऑंसूं क्यों नहीं रुकते  २००५ में मिली थी तुमसे न सोचा कभी  इस कदर स्नेह भर दोगी अपने वास्ते ! पहली मुलाकात और ढेर सारा प्यार  जहाँ भी जाती संग ले जाती हर जगह  अपनायियत और स्नेह से बांध लिया ! भेदभाव न किया बेटी और बहु में  जो भी दिया इज्जत और प्यार से  मुझ ही से मुझे छीन लिया इस कदर ! आज दिल रो रहा है यादों में समेटे हुए  कुछ मोहलत और मिल जाती हमें  कुछ और लम्हे बिता पाते संग तुम्हारे ! ढूंढ रहे हैं तस्वीरों में अब भी तुम्हें  आंसू मगर क्यों नहीं थमते मेरे  तुम्हारे चुटकुलों को सोच बहते हैं आँसू मेरे ! इस कदर छाप छोड़ गए हो दिल पर  तुम सा बनने की कोशिश करेंगे ज़रूर  जाते हुए भी प्यार की सीख दे गयी ! ~ फ़िज़ा   

खुदगर्ज़ मन

Image
  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है  अकेले-अकेले में रहने को कह रहा है  फूल-पत्तियों में मन रमाने को कह रहा है  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! कुछ करने का हौसला बड़ा जगा रहा है  जीवन का नया पन्ना खोलने को कह रहा है  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! समझा रहा है बेड़ियाँ तो सब को हैं मगर  बेड़ियों की फ़िक्र क्यों जीने से रोके मगर  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! पंछी सा है मन रहता है इंसानी शरीर में  कैसा ताल-मेल है ये उड़ चलने को केहता है  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! घूमना चाहता है दुनिया सारी बेफिक्र होके  जाना सभी ने अलग-अलग फिर क्या रोके? आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! मोह-माया के जाल में न धसना केहता है  जाना ही है तो मन की इच्छा पूरी करता जा  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! तू अपनी मर्ज़ी की करता जा खुश रह जा  दुनिया कहाँ सोचेगी जो तू दुनिया की सोचे है  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! अब मैंने भी मन से मन जोड़ लिया है  खुश, आज़ाद रेहने का फैसला कर लिया है  आजकल मन ही नहीं मैं भी खुदगर्ज़ हो चला हूँ !! ~ फ़िज़...