कल और आज
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जब भी घर लौटते है बचपन आ जाता है आज और कल के झलक दिख जाते है समय ये ऐसा ढीट है एक जगह ठहरता नहीं बीते कल और आज में ये एक पल स्थिरता के फिर ढूंढ़ता रहता है मैं कौन हूँ ? क्यों हूँ? इन सवालों के जवाब तब भी और अब भी ज़ेहन में घूमते रहते हैं ! ~ फ़िज़ा