मोहब्बत करने लगी हूँ
फिर गुस्ताखी करने चली हूँ खुद से मोहब्बत करने लगी हूँ चाँद अब मेरा पीछा करता है उस मुये से अब मैं छिपती हूँ आहें भरते है दोनों तरफ आग डरती हूँ और मिलना भी चाहूँ दिल ओ दिमाग से मसरूफ हूँ गुनगुनाती फ़िज़ा ख्यालों में घूम हूँ ~ फ़िज़ा