नये साल की शुरुवात...!
नये साल की शुरुवात कुछ इस ढंग से मैंने की
प्रकृति के साथ और कुछ युवाओं के संग हुई
कहते हैं पानी में रहकर मगर से न रखो कभी बैर
सोचकर शामिल हुए बच्चों की टोली में करने सैर
जंगलों में करने विचरण प्रकृति से कुछ बतियाने
जीवन की तरह कुछ टेढ़े-मेढ़े मिले रास्ते राह में
बिन मौसम बदलते पलछिन हरियाली झुंड पेड़ों के
फिसलते ओस से लतपत मोड़ छत्रक सजीले छाल
शुष्क हवाओं में सांस लेते हुए खुशगवार ये पल
कैद किये यूँ इस साल फ़िज़ा ने कोरे कागज़ पर
~ फ़िज़ा
Comments
आभार
@अनीता सैनी: आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मेरी रचना को इस तरह सम्मानित करने के लिए
आभार
आभार
@शुभा : आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मेरी रचना को इस तरह सम्मानित करने के लिए
आभार
@सुशील कुमार जोशी : आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मेरी रचना को इस तरह सम्मानित करने के लिए
आभार
@Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल : आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मेरी रचना को इस तरह सम्मानित करने के लिए
आभार