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Showing posts from January, 2021

बस ढूंढ़ती फिरती हूँ

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  मोहब्बत सी होने लगी है अब फिर से  लफ़्ज़ों के जुमलों को पढ़ने लगी हूँ जब से  जाने क्या जूनून सा हो चला है अब तो  बस ढूंढ़ती फिरती हूँ उस शख्स के किस्से  अलग ही सही कुछ तो मिले पढ़ने फिर से एक दीवानगी सा आलम है अब तो ऐसे  जब से पढ़ने लगी हूँ एक शख्स को ऐसे  ~ फ़िज़ा  

नये साल की शुरुवात...!

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नये साल की शुरुवात कुछ इस ढंग से मैंने की   प्रकृति के साथ और कुछ युवाओं के संग हुई  कहते हैं पानी में रहकर मगर से न रखो कभी बैर  सोचकर शामिल हुए बच्चों की टोली में करने सैर  जंगलों में करने विचरण प्रकृति से कुछ बतियाने  जीवन की तरह कुछ टेढ़े-मेढ़े मिले रास्ते राह में  बिन मौसम बदलते पलछिन हरियाली झुंड पेड़ों के  फिसलते ओस से लतपत मोड़ छत्रक सजीले छाल  शुष्क हवाओं में सांस लेते हुए खुशगवार ये पल  कैद किये यूँ इस साल फ़िज़ा ने कोरे कागज़ पर  ~ फ़िज़ा