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Showing posts from December, 2020

ज़िंदा हो इसीलिए नया साल मुबारक ही समझना

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  हर साल आता है साल नया  हर पुराने साल को करने विदा  हर गुज़रे साल से सीखते नया  मगर होता तो नहीं कुछ भी नया  ये साल बहुत कुछ हमें सीखा गया  क्या चाहिए और कितना बता गया  रोज़ मिले या न मिलें हम दोस्तों से  दिखा दिया कौन अपना और पराया  पैसों की ज़रुरत कम इंसान काम आया  घर की दाल-रोटी आम का अचार भला   स्वस्थ और स्वादिष्ट खाना सीखा गया  ज़रुरत तो वैसे कुछ भी नहीं जीने के लिए  वक्त ने इंसान को फिर किसान बना दिया  बगीचों में टमाटर धन्या अब उगने लगा  रोज़ परिवार संग बैठकर योजना बनाने लगा  छोटे से बड़ा घर का उत्तरदायी होने लगा  कंपनियों को समझ आने लगा निष्ठावान का  घर से हो या बगीचे से काम तो होने लगा  वक्त के साथ स्वस्थ्य पर निगरानी रखने लगा  इंसान आखिर इंसान पर भरोसा करने लगा  ज़िन्दगी देता इंसान तो वही लेता भी जान  मास्क न पहन गैर जिम्मेदार पार्टियां करने लगा  अपना न सही मगर औरों को खतरे में डालने लगा  बात भी सही है अब तो वज़न कम करो अपना  कुछ न कुछ करो पृथ्वी पर न बन...

एहसास !

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  एहसास ! जो उस पल में रेहने संवरने के ख़ुशी में  बाकि हर पल को भूल जाने या भुला देने में  जो शायद उम्र भर फिर हो और  इस पल के बाद फिर शायद कभी न हो   इस बात का कोई आसरा न भरोसा हो  मगर उस पल में सौ बार जीने मरने का  एहसास ! वही एक पल है जो हर सीमाओं को  लांघकर तल्लीन रह जाना सिर्फ  उस एक पल के लिए जो दिला दे वो  एहसास ! जो शायद लफ़्ज़ों का मोहताज़ नहीं  जिसे सिर्फ महसूस किया जाये  ये एक सांस है जो सिर्फ ली जाए  उस सांस में जी और संभल भी जायें   एहसास ! ~ फ़िज़ा 

ख़याल से नहीं न वो गए!

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  कुछ दिनों से आ रही थी ख़याल में  बीती हुई कुछ पलछिन हादसे यादें  हम सोचते रेह गए बस शायद थोड़ा  हाँ ! थोड़ा रूककर बात ही कर लेते  आखिरी बार ही मगर अलविदा सही  जानते थे के बीमार ज़िन्दगी है कब? आज अफ़सोस हुआ खबर ये जानकर  ख़याल आया उन पलों का जब संग थे  ख़ुशी जो हम दे सके एक-दूसरे को  शायद अब वो नहीं हैं सोचने के वास्ते  वो सभी जो सीखा-सिखाया साथ में  वो सभी अब यादें रेह गयीं मेरे हिस्से में   अफ़सोस तो हुआ ज़रूर जब सुना के  वो अब नहीं रहे !!! आज बहुत याद आये ! ख़याल से नहीं न वो गए! ~ फ़िज़ा