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Showing posts from February, 2019

बदले से केवल होगा विनाश

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दिल में न जश्न है न जोश  कौन जहाँ में मनाता खुशियाँ अपने ही जैसों को मारकर? शायद मेरा दिल आज़ाद है  बंधा नहीं देशों के दायरों में  इंसान यहाँ भी वहां भी समान  क्यों न मिलकर -समझकर  मुश्किलों का निकालें हल  ज़िन्दगी है जीना जीने का नाम   जंग से केवल भंग होगा इंसान दुश्मन लूटेगा मचाएगा नाश  बदले से केवल होगा विनाश  न जोश है आज न होश है  आज! ~ फ़िज़ा 

इसे रोको इसे रोको !

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गुलाबों का दिन था  मोहब्बत का समां था  सन्देश प्यार का था   फिर हैवानियत कैसा?  कितना क्रूर होगा वो  वो पल, वो जानवर पुलवामा में घुसकर  चोरी से ठग कर मारे  देश के जवानों को  विस्फोटों से लथपथ  जवानो की आहूति  जिम्मेदार कौन?  भरपाई करे कौन? सस्ती है ज़िन्दगी  खून का आदि है  आतंकवाद ! क्यों न करें इस  आतंकवाद का खून? टूट गया वोही दिल  जो गुलाबों और  मोहब्बत से पाला था दर्दनाक हिंसा जवानों पर  निंदाजनक हादसा  इसे रोको इसे रोको  बहुत हुआ अब पडोसी का  झगड़ा ! ~ फ़िज़ा 

खिला चाँद गगन में !!!

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भीगा मौसम है  बहारों का गुलशन  चमन में चहकते  पंछियों की टोलियां  भीड़ में सभी तो हैं   फिर भी अकेला वो  अकेले हम भी हैं  बहारों के खिलने से  मंडराते हैं कुछ भँवरे  यहाँ खिलता गुलाब है  मेहकती हुयी खुशबु है  बस नहीं है कोई तो  चाँद जो दूर बसा है  गगन की गोद  में  बादलों की आड़ में  सिसकते हम भी हैं  सिसकता वो भी है  भीगा मौसम है  भीगी हर सांसें हैं  जज़्बात कोहरे में  खिला चाँद गगन में !!! ~ फ़िज़ा 

आ सको तो आजाओ तुम...!

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आ सको तो आजाओ तुम  लम्बा सफर रहा जुदाई का  गए थे हंसी-ख़ुशी में यहाँ से भेजा था हमने भी उत्साह से  दिनों-हफ़्तों की बात और है   महीना होने को यहाँ चला है  आ सको तो आजाओ तुम  लम्बा सफर रहा जुदाई का ! घर की बात और दफ्तर की  काम सभी नियमित होते हैं  सब का इंतज़ाम ठीक हुआ है  शाम आती है सूनेपन को लेकर  तुम, आ सको तो आजाओ   लम्बा सफर रहा जुदाई का ! शुरुवात बच्चों की मर्ज़ी से ही  चलता रहा दिनचर्या मस्ती से   अब उसमें भी नीरसता आगयी  सच कहूं तो दिल नहीं लगता  हो सके गर तुमसे तो आजाओ   जुदाई का सफर अब नहीं सहना ! आ सको तो आजाओ तुम  लम्बा सफर रहा जुदाई का !! ~ फ़िज़ा