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Showing posts from September, 2018

जीने के लिए प्यार ही काफी है

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जीने के लिए प्यार ही काफी है ज़माने में ऐसा,ज़रा कम मानते हैं इंसान को इंसान नहीं पैसों से मतलब है फिर चाहे वो चिकित्सक हो या रोगी हर कोई लूटने और लुटने को है तैयार सिर्फ एक पल की ज़िन्दगी के लिए  आराम और दर्दहीन होने के लिए जीवन मूल्य चुकाने को होते हैं तैयार भूल जाते हैं क्या चाहिए क्यों चाहिए तब तक, जब तक मौत खड़ी न हो सामने सुबह की शाम होने पर जैसे लौट आते हैं -इंसान इंसान को चाहिए इंसान का प्यार और उसका साथ ! ~ फ़िज़ा

भेद-भाव का न हो कहीं संगम !

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कविता पढ़ने -सुनने की नहीं है इसे पहनो, पहनाने की ज़रुरत है वक्त बे वक्त बरसों से ज़माने में हैं महाकवि से लेकर राष्ट्र कवी तक हैं देश के नागरिकों को जागरूक करते हैं वीर रस की कवितायेँ लिखते हैं इंसान को इंसान होने का एहसास दिलाते हैं जाग मनुष्य तू किस लिए बना है ? कीड़े-मकोड़ों सा जी-मरकर चले जाना है? या अपनी मनुष्य जाती का मूल्य बचाना है ? अरे! तू जाग अभी, वर्ना बहुत देर हो जाना है लोगों के आँखों में धूल झोंकने का समां है पुरानी रीती-रिवाज़ों को लेकर आना है फिर वही 'बांटों और राज़' करो की भाषा है हर पीढ़ी हर इंसान भुगत चूका है हर कमज़ोर हर अनुगामी भुगतरहा है तुम धैर्य का पथ पकड़ो और सवाल करो क्यों इंसान - इंसान में भेद-भाव है क्यों जाती-पाँति का रट आज भी है ? क्यों धर्म की बातों से अधर्म का काम करते हैं क्यों इंसानी रिश्तों में खून का रंग भरते हैं अमन-शान्ति को क्यों नफरत से देखते हैं? क्यों आखिर, इंसान सोचता नहीं? क्यों इतिहास हमेशा दोहराता है? क्यों न तुम आज तमन्नाओं को जगाओ हर इतिहास को पलट कर नया ज़माना रचाओ हर कोई इंसान और इंसानियत का हो धर्म हर किसी के हिस्से में उसकी अपनी...

मैं ज़िंदा हूँ शायद अभी कहीं से

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  मैं ज़िंदा हूँ शायद अभी कहीं से के हर अन्याय और अत्याचार से पसीजता है ये दिल कहीं अंदर से कुछ न कर पाने की ये अवस्था से जब देखते हैं नित-दिन अखबार से सोशल-मीडिया भरा कारनामों से गरीब वहीं आज भी बिलखते से ज़िन्दगी इसके आगे नहीं कुछ जैसे सेहता है अन्याय ऐसे मज़बूरी से और अमीर वहीं अपने आडम्बरों से पैसों से और उसके भोगियों से नितदिन अत्याचार आम इंसान से कभी तो अच्छे दिन के ख्वाब ही से बड़ी-बड़ी बातों के ढखोसलों से जी रहा कराह रहा काट रहा ऐसे ज़िन्दगी एक ज़िम्मेदारी हो जैसे इनकी बात आखिर कोई सुने कैसे ? ~ फ़िज़ा