अभिव्यक्ति की स्वंतंत्रता हक़ है हर एक का !!
हैवानियत पर उतर आये लोग जब किसीने दिखाया आईना आईना था ही इतना भयंकर खुद भी न देख सके चेहरा प्रतिरूप देख कर सिर्फ हत्या ही बन पड़ा उनसे ! कब तक करोगे बंद आवाज़ कब तक करोगे हातपाई कब तक करोगे गुंडागर्दी आखिर कब तक ये सहेंगे भी एक से बढ़कर एक आवाज़ पैदा होगी जनतंत्र में कई यहाँ ! हर दबायी आवाज़ को बुलंद कर जहाँ आवाज़ को खामोश किया वहां कलम से तू काम कर, प्रहार कर निडर निर्मोही कर निर्लज अन्याय का प्रजातंत्र को न मायूस कर यूँ हैवान एक आवाज़ को दबाने वाले प्राणी ! सौ खड़े हो जायेंगे बनकर वही आवाज़ तर्कसंगत से बनेगा एक स्वच्छ समाज अभिव्यक्ति की स्वंतंत्रता हक़ है हर एक का !! ~ फ़िज़ा