इजहार-ए -मुहब्बत यूँ भी करना ...!
मेरा दिल दर्द से तू भर दे इतना के जी न सकूँ चेन से न मरना लफ़्ज़ों के खंजर से खलिश इतना के जी न सकूँ चेन से न मरना इजहार-ए -मुहब्बत यूँ भी करना के जी न सकूँ चेन से न मरना दुआएं यूँ देना के बरसों है जीना मगर ऐसा भी, के जी न सकूँ चेन से न मरना ~ फ़िज़ा