ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
Sunday, June 27, 2010
Par hum to kabhi nahi mile
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Hum chaukhat se ruksat huye aise
Jaise lage kabhi nahi hum mile
Duriyon ko aur dur karein ke
Jaise lage kabhi nahi hum mile
Chahatein, ulfatein, sapne sanjoye
Lekin hum kabhi nahi mile
Kis - kis tarah dekhe sapne
Par hum to kabhi nahi mile
Aarzoo on mein kaise beeta waqt
Haan lekin hum kabhi nahi mile
Chand phisale huye pal zindagi ban gayee
Lekin phir, Jaise lage kabhi hum nahi mile
Soch mein Hai fiza aaj bhi kaise…
Aise, Jaise lage kabhi hum nahi mile
~ Fiza
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