मेरे सपनों की बुनी एक किताब
ज़िदंगी में सपने कौन नहीं देखता...और फिर उन्हीं सपनों को सच करना एक ख्वाब से बढ़कर कुछ नहीं होता, तब तक जब तक कोई आपको प्रोत्साहित नहीं करता. जी हाँ, मैं दोस्तों की बात कर रही हूँ. मैंने एक सपना देखा है अपनी कविता की एक किताब...जो के मैं अपने मित्रों और निकटजनों की सहायता से और आप सभी साथियों के आशि॔वाद से नये साल की फरवरी महीने की चौदह तारिख तक पबलिश करने का प्रयत्न कर रही हूँ. आशा है मुझे आप सभी का सहयोग प्राप्त होगा... ज़िंदगी में एक ख्वाब मैंने भी बुना है मन ही मन कुछ सिला है पुरे होने की आरजू़ है लेकिन साथ मेरा कोई दे..!?! इसी की आकाँशा है! दोस्तों का साथ हो बडों का आशि॔वाद हो मेरे सपनों की बुनी एक किताब कहो! है न मेरे सर पर आपका हाथ? ~फिज़ा