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ऐ दुनियावालों ...

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  कभी ऐसे सलाहकार मिलते हैं  जिन्हें कोई तज़ुर्बा होता नहीं है ! चिल्लाकर लोग सच जताते हैं  भूल जाते हैं खुदी में गड़बड़ है ! बातों की रट तो है कुछ ऐसे  खुद पे भरोसा ही नहीं जैसे !  आदमी शान से कहे परवाह नहीं  औरत सोचे तो समाज जीने न दे ! कभी खुद के गरेबान में भी देखना  फायदे में तुम भी और हम भी रहेंगे ! ऐ दुनियावालों बस बोरियत है यहाँ  कब अपनी सवारी आएगी, जाना है !! ~ फ़िज़ा 

लगता है जैसे हँसते हैं इंसानों पे !

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 जहाँ खुला आसमान उड़ते पंछी देखूँ  लगता है जैसे हँसते हैं इंसानों पे ! वक़्त ऐसा आ चला है जहाँ पर  बिना पिंजरे के बंधी बने हैं लोग ! अब तो हालत ऐसा है जनाब जाना चाहो वापस जाने न दें ! किसी के विरुद्ध क्या बोलोगे अब  कुछ कहने से पेहले ही बोलती बंद ! कटुक नीबूरि कहाँ कनक कटोरी  पिंजर बंध कनक तीलियाँ भी नहीं ! खूब हंसो तुम पंछी खूब हंसों   पैरों पर जो मारी है कुल्हाड़ी ! ~ फ़िज़ा