ऐ दुनियावालों ...

कभी ऐसे सलाहकार मिलते हैं जिन्हें कोई तज़ुर्बा होता नहीं है ! चिल्लाकर लोग सच जताते हैं भूल जाते हैं खुदी में गड़बड़ है ! बातों की रट तो है कुछ ऐसे खुद पे भरोसा ही नहीं जैसे ! आदमी शान से कहे परवाह नहीं औरत सोचे तो समाज जीने न दे ! कभी खुद के गरेबान में भी देखना फायदे में तुम भी और हम भी रहेंगे ! ऐ दुनियावालों बस बोरियत है यहाँ कब अपनी सवारी आएगी, जाना है !! ~ फ़िज़ा