अम्मा का प्यार
दुःख क्यों होता है ये ऑंसूं क्यों नहीं रुकते २००५ में मिली थी तुमसे न सोचा कभी इस कदर स्नेह भर दोगी अपने वास्ते ! पहली मुलाकात और ढेर सारा प्यार जहाँ भी जाती संग ले जाती हर जगह अपनायियत और स्नेह से बांध लिया ! भेदभाव न किया बेटी और बहु में जो भी दिया इज्जत और प्यार से मुझ ही से मुझे छीन लिया इस कदर ! आज दिल रो रहा है यादों में समेटे हुए कुछ मोहलत और मिल जाती हमें कुछ और लम्हे बिता पाते संग तुम्हारे ! ढूंढ रहे हैं तस्वीरों में अब भी तुम्हें आंसू मगर क्यों नहीं थमते मेरे तुम्हारे चुटकुलों को सोच बहते हैं आँसू मेरे ! इस कदर छाप छोड़ गए हो दिल पर तुम सा बनने की कोशिश करेंगे ज़रूर जाते हुए भी प्यार की सीख दे गयी ! ~ फ़िज़ा