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तू रुख मोड़ बढ़ जा आगे !

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कुछ रिश्ते, कुछ बातें होने के लिए होतीं हैं  वर्ना यूँही कौन कैसे किसी को समझता? क्या अच्छा और अच्छा नहीं कैसे समझते? जब तक हादसे और किस्से न समझाते हमें ! जब आँख खुले तभी सवेरा समझ लेना ठीक  बेकार सोचने में वक़्त ज़ाया करने से क्या ? जीवन की यही रीत है प्रकृति ने सिखलाई  जो भी आये सामने तू रुख मोड़ बढ़ जा आगे ! ~ फ़िज़ा 

नया साल मुबारक हो आपको!

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  आपकी ज़िन्दगी इस हलवे की तरह हो  मीठा, और स्वादिष्ट ! ज्यादा मिठास न हो इसलिए  एक आध इलायची का दाना मिल जाये  मीठा तो कम मगर ज़ायका बना रहे  काजू-बादाम का रोड़ा बीच में  ले आये हल्का सा बदलाव  मगर ज़िन्दगी की मिठास यूँही बना रहे  ज़िन्दगी आपकी इस हलवे की तरह हो ! आपको नया साल मुबारक हो ! ~ फ़िज़ा