ज़िन्दगी
ज़िन्दगी अपनी है और अपने तरीके से जिए कब तरीके किसी और के हुए जाना ही नहीं ! आदि हैं सीधे तौर-तरीके से मुद्दे को सामने रखते इशारों में कितना कुछ कह दिया जाना ही नहीं ! वक्त-वक्त पर बदला हुआ फैसला साथ रहेंगे दरअसल भाग जाने के बहाने जाना ही नहीं ! क्या थे हम? किसे थे हम, नाज़ था खुद पर आज खुद को देखकर कौन है जाना ही नहीं ! नारी तो बदलती ही है हर हाल में फिर भी फ़िज़ा उम्मीद उसी से क्यों? ये जाना ही नहीं ! ~ फ़िज़ा