बुरा न मानों होली है !!!!
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सवेरे-सवेरे मीटिंग में जब सुना कल छुट्टी है क्यूंकि होली है मन ही मन होली के गुब्बारे रंगों से भरे दिल में फोड़ आये मैंने कहा खुद ही से अरे , बुरा न मानों होली है !!!! ~ फ़िज़ा
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !