दिवाली की शुभकामनाएं आपको भी !
 
  दशहरे के जाते ही  दिवाली का इंतज़ार  जाने क्यों पूनावाली  छह दिनों की दिवाली  एक-एक करके आयी  दीयों से मिठाइयों से  तो कभी रंगोलियों से  नए कपड़ों में सजके  मनाया तो हमने भी  मगर सोच में हर वक्त  बचपन की दिवाली  पठाखे और फुलझड़ियों  में ही खो सा गया कहीं  अब तो दिवाली सिर्फ  दिलों में यादों में और  चंद लम्हों में क़ैद है  जाने कब ये रिहा होंगे  क़ैदख़ानों से ! ~ फ़िज़ा