तरुवर की माया
देखता सब है वो मगर नज़र उस पर नहीं खबर सबकी है उसे जानता कोई भी नहीं ! ख्याल वो सबका रखता उसका कोई नहीं उसके सहारे फलते मगर नाम उसका नहीं ! सेहता कोई भोगता कोई सच कोई जाने नहीं मौज करता कोई वो कर्म करता कहता नहीं ! जैसा सभी को दिखता है वो असल में है नहीं उम्र गुज़री धुप-छाँव में अब कोई पूछता नहीं !! ~ फ़िज़ा