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Showing posts from December, 2018

अभी रात ठेहर जाओ !!

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ठण्ड ने कुछ यूँ पास सबको जकड रखा है कम्बलों से जन्मों का नाता बना रखा है कुछ इस कदर रिश्ता बना है सर्दियों में ख्यालों में ऊन का मेला नज़र आता हैं करीब रेहकर कम्बलों में नज़र आता है उसका स्पर्श गरम बाहों का आसरा है  ख़याल से गुद -गुदाहट, सुखद अनुभव है चाँद, दीवाना आज कुछ ठान के आया है चांदनी रात उसका साथ, फिर ये ठण्ड है आँखों के सिलसिले कहानियों के ज़रिये है अयनांत की रात पिया से मिलने जाना है फ़ज़ाओं थोड़ा थम जाओ, सेहर तुम जाओ अभी रात ठेहर जाओ !! ~ फ़िज़ा 

दोस्ती !!!

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दोस्ती किसे कहते हैं?  कभी सुना कहानियों में  तो कभी देखा फिल्मों में  ज़िन्दगी कई तरह से हमें  दिखाए और सिखाये सीख  बचपन के पले बढे साथी  सालों बाद जब मिले दोस्त  जस्बे में तो दिखाई दोस्ती  दोस्ती निभाने में कर गए कंजूसी ! कुछ साल पहले मिले मेले में  मचाया धुम खाया-पिया मज़े में  वक़्त आया कुछ खरीदने की  तो कहा मेरे लिए भी ले लो कुछ  पैसे बदलकर डॉलर- रुपये में  किसी ने जैसे कुछ सुना ही नहीं  हँसते-खेलते तस्वीर खींचाते  निकल आये मेले से हम दोस्त ! उंगलियां होतीं हैं अलग-अलग  शायद यही मिसाल ली मैंने  एक बिना कहे पूरी करे आरज़ू  बदले में पैसे की बात न करना  ऐसी धमकी देते हुए खरीद लिया  दिल सोचते रेहा गया परेशान  दोस्ती आखिर क्या है? उम्र के इस दायरे में आकर  जहाँ ज़िन्दगी को जी कर  ज़िन्दगी को जानकर देखा  फिर भी न कर पाए लोग फर्क  इंसान और पैसों के वज़न में   ज़िन्दगी शायद तेरा ही है कसूर  कु...

कब ?

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ज़िन्दगी मदहोश होकर चली बारिश की बूंदो सी गिरती हुई कभी जल्दी तो कभी हौले से ठंडी टपकती तो कभी गीली रोमांचक रौंगटे से चुभती हुई गर्म बादलों की चादर ओढकर सिकुड़कर सोने का ख्वाब वो कब पूरा होगा? सुहानी वो नींद सुबह के ५ बजे घडी की अलारम कहे, उठो! और दिल कहे, नहीं ! हाँ और न में गुज़रे कई पल दिल और दिमाग़ की लड़ाई में                             आखिर दिमाग का जितना जिम्मेदारी का जितना और एक बच्चे सा दिल का हारना कब वो जीतेगा? इंतज़ार में... ! ~ फ़िज़ा