गर्मी वाली दोपहर...!
ऐसी ही गर्मी वाली दोपहर थी वो हर तरफ सूखा पानी को तरसता हुआ दसवीं कक्षा का आखिरी पेपर वाला दिन बोर्ड की परीक्षा पढ़ाई सबसे परेशान बच्चे मानसिक तौर से थके -हारे दसवीं के विद्यार्थी पेपर के ख़त्म होते ही घर का रास्ता नापा न आंव देखा न तांव देखा साइकिल पे सवार घर पहुँचते ही माँ ने गरम-गरम खाना परोसा भरपेट भोजन के बाद नींद अंगड़ाई लेने लगी गर्मी के दिन की वो नींद भी क्या गज़ब की थी बाहर तपती ज़मीन, आँखों में चुभते सूरज की लौ घर के अंदर पंखे की ठंडी हवा की थपथपाहट और पंखें की आवाज़ मानो लोरी लगे कानों को एकाध बीच में कंकड़ों की आवाज़ जो की कच्चे आमों से लगकर ज़मीन पर गिरती मानो अकेलेपन को बिल्कुल ख़त्म करती सुहाने सपने लम्बी गहरी नींद की लहरें अचानक दोस्तों की टोली टपकती पानी के छींटें बस नाक में दम था आये थे बुलाने डैम में चलो नहाने गर्मी का मौसम और ठन्डे पानी में तैरना सोचकर उठा जाते-जाते बोल गया 'अभी आता हूँ अम्मा ' कहकर चला गया फिर जब वो आया तो कफ़न ओढ़कर आया अव्वल नंबर का तैराक था वो फिर क्या हुआ? शायद बुलावा आगया परीक्षा जो ख़त्म हुआ महीनो बाद रिजल्ट आया बहनों ने जाकर देखा मुन्ना अव्वल...