मुझको रोकने वालों ये बात कहनी थी तुमसे ...
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मुझको रोकने वालों ये बात कहनी थी तुमसे बढ़ावा न दे सको तो न सही मज़ाक न बनो ! किसी की सबरी और बेसब्री तुम क्या जानो कभी सबर कर सको औरों की तरह तो जानो ! झोली हर कोई भरता है अपनी गोदामों की तरह धान्य सिर्फ गोदामों में रहे तो किस काम आये? अपने पालतू सब होते हैं चाहे ग़लत हो या सही साथ भी तब तक देंगे जब तक गद्दी आपकी रही ! वक़्त नहीं लगता शीशे के महलों को ढेर होते - होते कदम जब भी रखो तो आहिस्ता-आहिस्ता से रखिये ! मुझको रोकने वालों ये बात कहनी थी तुमसे वक़्त मेरा भी आएगा! हाँ, तब बात होती है तुमसे ;) ~ फ़िज़ा