एक दुखियारी बहुत बेचारी
नारी के कई रूप हैं और एक ऐसा भी रूप है जिसे वो बखूबी निभाती है क्यूंकि नारी हमेशा अबला नहीं होती ! एक सत्य ये भी देखने मिलता है ! एक दुखियारी बहुत बेचारी किसी काम की नहीं वो नारी रहती हरदम तंग सुस्त व्यवहारी हुकुम चलाये जैसे करे जमींदारी पति कमाए वो उड़ाए रुपये भारी ईंट -पत्थर से बने मकान को चाहे आडंबर दुनिया की वो है राजकुमारी उसके आगे करो तारीफें और किलकारी उसे तुम लगोगे जान से भी प्यारी वो खुश रहती हरदम है वो आडंबरी रहना तुम दूर उससे वर्ना होगी बिमारी तुम सोच न सको ऐसी दे वो गाली एक दुखियारी बहुत बेचारी !!!! ~ फ़िज़ा