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कहाँ हम पहुंचे हैं किस ऒर जा रहे हैं और किसके वास्ते !?!

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वो मकान बदलती रही घर बनाने के वास्ते खुद को न बदल सकी मकान को घर बनाने के वास्ते। वो इच्छा पूरी करती रही अपनी भावनाओ के वास्ते वो न समझी सकी साथी की भावनाओ को किसी वास्ते ! वो जीतना चाहती थी घरवालो से अपने वास्ते वो समझ न सकी उसकी हार उसी के वास्ते ! वो दिन भी आया चले  मकान से महल के रास्ते दो कमरों की दुरी से पांच की दुरी नापने के वास्ते ! सुना आज भूकंप आया नेपाल और भारत के रास्ते कई मौत के घाट उतरे क्या महल और मकान के वास्ते ! ज़िन्दगी की सीख प्रकृति दे गयी इंसानो को जीने के वास्ते कितना और क्या चाहिए जब पैर हो चादर के अंदर के वास्ते ! 'फ़िज़ा' सोचती रही जीवन की हक़ीक़त इच्छापूर्ति लोगों के वास्ते कहाँ हम पहुंचे हैं किस ऒर जा रहे हैं और किसके वास्ते !?! ~ फ़िज़ा

जाने क्यूं ?

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जाने क्यूं वो रोकता था , प्यार से मुझे घोलता था , मुझको भी सब मीठा लगता था , जाने क्यूं वो रोकता था ! तोहफे वो रोज़ लाता था , नज़र ना लगे इस वजह छुपाता था , गुड़िये जैसा सजाता भी था , जाने क्यूं वो रोकता था ! तब तडपकर वो टूट जाता था , एक दिन वो पल भी आया था , मुझे दूर लेजाकर छोड़ आया था , तभी मुझे बचाकर रखता था , जाने क्यूं वो रोकता था ,! शायद प्यार खुद से करता था , उसकी जान मुझ में बसा था , तब जाके समझा ... जाने क्यूं वो रोकता था !!!... ~ फ़िज़ा