कहाँ हम पहुंचे हैं किस ऒर जा रहे हैं और किसके वास्ते !?!
वो मकान बदलती रही घर बनाने के वास्ते खुद को न बदल सकी मकान को घर बनाने के वास्ते। वो इच्छा पूरी करती रही अपनी भावनाओ के वास्ते वो न समझी सकी साथी की भावनाओ को किसी वास्ते ! वो जीतना चाहती थी घरवालो से अपने वास्ते वो समझ न सकी उसकी हार उसी के वास्ते ! वो दिन भी आया चले मकान से महल के रास्ते दो कमरों की दुरी से पांच की दुरी नापने के वास्ते ! सुना आज भूकंप आया नेपाल और भारत के रास्ते कई मौत के घाट उतरे क्या महल और मकान के वास्ते ! ज़िन्दगी की सीख प्रकृति दे गयी इंसानो को जीने के वास्ते कितना और क्या चाहिए जब पैर हो चादर के अंदर के वास्ते ! 'फ़िज़ा' सोचती रही जीवन की हक़ीक़त इच्छापूर्ति लोगों के वास्ते कहाँ हम पहुंचे हैं किस ऒर जा रहे हैं और किसके वास्ते !?! ~ फ़िज़ा