सलाम कर फ़िज़ा ये दुनिया है बड़ी गोल
बहुत दिनो से है अपना दिल भरा-भरा यार ने कसर ना छोड़ी दिल खोलकर रोने दिया ! बहुत दिनो से तारीफों के पुलों पर सवार रहा आज हक़ीक़त से वास्ता पड़ा तो चिल्लाना आगया ! कभी मौका मिले तो सोच लेने का कष्ट किया करो कैसे सच्चाई से रूबबरू होने से कतराया गया ! दम भरते हैं वो हमेशा अपने होने का दिलबर उतरकर देखो पानी में रेहते हो कहाँ पर गोया गम का ना करो चर्चा जहां सभी हैं लाचार कभी चीरते जिगर से मुस्कुराया भी ना गया ! सलाम कर फ़िज़ा ये दुनिया है बड़ी गोल मिलेंगे पत्थर उनसे जो गले लगा गया ! ~ फ़िज़ा