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मैं

ज़िन्दगी में कभी ऐसे मौके आये हैं जहाँ आप इस कदर खुदगर्ज़ हो जाते हैं के आपको सिर्फ अपनी फिकर होती है के में कैसे जियूँगा और में कैसे अपने आपको किसी भी हालात से बहार निकालूँगा जहाँ मुझे किसी पर भी निर्भर रहना न पड़े ...ऐसे चंद मौकों, लम्हों जहां "मैं" का महत्व दर्शाने की एकमात्र कोशिश... मैं !!! मैं चाहता हूँ , दिल से तुझे मैं बहलाता हूँ , दिल से तेरे मैं प्यार चाहता हूँ , दिल से तेरे मैं चाहता हूँ , तू भी प्यार करे मैं चाहता हूँ , तू भी बहले मुझ से मैं चाहता हूँ , गर तू न आये मेरे पास में चाहता हूँ , भूल जाऊं में तुझे तुझ से पहले, में जीत जाऊं इसमें मैं चाहता हूँ , तकलीफ कम हो मुझे जब में निकल जाऊं , सुकून से इस प्यार के झमेले से तब तुम चली जाना ज़िन्दगी से न कभी फिर सहारे की जुस्तजू तुमसे मैं चाहता हूँ , ये दिल से के तू हमेशा चाहते रहे , लेकिन में निकल जाऊं इसमें से मैं चाहता हूँ , दिल से तुझे मैं बहलाता हूँ , दिल से तेरे ~ फिजा