Posts

Showing posts from February, 2007

एक नया बीज़ बन के कोई अरमान

अक्‍सर इंसान ख्‍वाब देखता है किंतु उसे पूरा होते देखने में कई बार वो आडंबरी रस्‍मों में फँस जाता है क्‍योंकि वो भी आखिर इन्‍हीं गुँथियों में गुँथ जाता है बहुत दिनों बाद पेश है ....राय की मुंतजि़र दिल की धडकन आज फिर हूई है जवान के तरंगों का कारवाँ हुआ हैवान सुखी बँज़र ज़मीन पर आज फिर एक नया बीज़ बन के कोई अरमान आँखों से तो ले ही गया नींद दे गया हजा़रों सपने जवान कल जब कहा था छू कर के मेरा हाथ दिल भी और जान भी रेह गये हैरान इंतजा़र मे़ है 'फिजा़' ये दिल अब तो के कब रस्‍मों से हों रिश्‍ते बयान फिजा़