एक नया बीज़ बन के कोई अरमान
अक्सर इंसान ख्वाब देखता है किंतु उसे पूरा होते देखने में कई बार वो आडंबरी रस्मों में फँस जाता है क्योंकि वो भी आखिर इन्हीं गुँथियों में गुँथ जाता है बहुत दिनों बाद पेश है ....राय की मुंतजि़र दिल की धडकन आज फिर हूई है जवान के तरंगों का कारवाँ हुआ हैवान सुखी बँज़र ज़मीन पर आज फिर एक नया बीज़ बन के कोई अरमान आँखों से तो ले ही गया नींद दे गया हजा़रों सपने जवान कल जब कहा था छू कर के मेरा हाथ दिल भी और जान भी रेह गये हैरान इंतजा़र मे़ है 'फिजा़' ये दिल अब तो के कब रस्मों से हों रिश्ते बयान फिजा़